RATAN GURUKUL CLASSES ( RGC )( रतन गुरुकुल क्लासेज )
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February 26, 2025 at 05:32 AM
मनुष्य अपने कर्मों से पहचाना जाता है। पर हम मनुष्यों के 99 प्रतिशत से ज्यादा कर्म केवल और केवल खुद के लिए होते हैं। हम पैसा कमाना चाहते हैं? अपने लिए। हम पढ़ाई करते हैं? अपने लिए। हम कुछ रिश्तों का पालन करते हैं? अपने लिए। अगर कहा जाए कि मनुष्य का पूरा जीवन ही खुद के लिए है, तो शायद गलत नहीं होगा। ऐसे मैं, *भगवान शिव* का जीवन कुछ और ही दिखाई देता है। समुद्र मंथन में जब दुनिया अमृत के पीछे भाग रही थी, भगवान शिव ही ऐसे थे जो दूसरों के सुख के लिए खुद विष को धारण कर लिया। शिव का शाब्दिक अर्थ है - वो जो नहीं है। आधुनिक विज्ञान भी ये बात मानता है कि विश्व एक विशाल शून्यता से शुरू हुआ है और एक विशाल शून्यता में ही अंत है। दूसरे शब्द में कहा जाए तो ये दुनिया अनादि है और अनंत है। आज के दिन, ग्रहों की भौगोलिक स्थति ऐसी हो जाती जो व्यति के अंदर आध्यात्मिक प्रकाश को उजागर करती है। इसलिए, आइए कुछ पल अपने टाइट और बिजी जीवन से निकालकर भगवान शिव, वैराग्य के स्वामी, त्याग की मूरत, और सहृष्टि को बनाने वाले और बिगाड़ने वाले से प्रार्थना करे और मांगे कि है शिव! हमें कुछ सालों के लिए इस धरती की माया विचलित न करना। हमें एकाग्रता दे। जिससे हम भी अपने लक्ष्य की तरफ एक शक्ति से बढ़ सके। हमें ऐसी शक्ति दे कि हम भी आपकी तरफ बुरी शक्तियों के पास होकर उससे प्रभावित न हो। *"नमः पार्वतीपतये हर हर महादेव।।"*

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