Chhagancsp
Chhagancsp
January 31, 2025 at 01:14 PM
हर रोज आ रही नई वैकेन्सी की तरफ नजरे गड़ाये हुए हैं.. क्या पता इस बार selection हो जाए यही आस लगाए हुए हैं.... घर से मीलों दूर रहते हैं किसी time कुछ खाते हैं तो किसी दिन बिना खाये ही पढ़ते पढ़ते सो जाते हैं.... हर रोज जिंदगी का एक एक दिन बिताए जा रहे हैं कभी जब घर जाने की बात आती हैं... तो दिल काप सा जाता हैं वही पुराने चेहरे याद आ जाते हैं जो हमारी तरफ बड़ी आस लगाए बैठे हैं... शायद इस बार नौकरी मिल जाए शायद इस बार एक माँ के गिरवी पड़े गहने वापस आ जाए.... शायद इस बार पिता की वो डबल सिफ्ट वाली नौकरी न करनी पड़े शायद इस बार खेतों में काम न करना पड़े... छोटे भाई बहन का आदर्श भी बनना है और घर का बड़ा बेटा / बेटी बनने का फर्ज भी निभाना है.... दिल में छुपे दर्द को भी छुपाना है चेहरे पर आ रही नाकामयाबी  के हर्फ को भी छुपाना है.... हर रिश्ते, हर उम्मीद को निभाना है और जल्द से जल्द कामयाब हो कर वापस आना हैं....
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