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February 8, 2025 at 11:33 AM
*आज माघ शुक्ल एकादशी के दिन ही जन्मे थे महान संत महापुरुष अच्युतानंद दास, लिखे थे एक लाख से भी अधिक ग्रंथ*
महापुरुष अच्युतानंद दास का जन्म 10 जनवरी 1510 (माघ शुक्ल एकादशी) को भारत के ओडिशा राज्य स्थित कटक जिले के तिलकणा नामक गांव में हुआ था। वे भगवान जगन्नाथ के परमभक्त, कवि, द्रष्टा, महान वैष्णव संत तथा चैतन्य महाप्रभु के समकालीन एवं 16वीं शताब्दी में ओडिशा में जन्मे 'पंचसखाओं' में एक थे।
अच्युतानंद दास सभी युगों में जन्म ले महाप्रभु के द्वारा की जाने वाली धर्म-संस्थापना में योगदान किया करते हैं। सत्ययुग में जहां वे कृपाजल नामक ऋषि थे, वहीं त्रेतायुग में उन्होंने नल नाम से जन्म लेकर भगवान राम का सान्निध्य पाया। द्वापर में भगवान कृष्ण के मित्र सुदाम हुए तो कलियुग में श्री चैतन्य के शिष्य अच्युतानंद दास के नाम से विख्यात हुए।
वे स्वयं श्रीहरि के अंशावतार थे एवं उनका जन्म भगवान की कटि से हुआ माना जाता है। उन्होंने नेमाल नामक स्थान पर ध्यानमग्न होकर प्रभु की आज्ञा एवं अपनी दिव्य क्षमता के बल पर एक लाख से भी अधिक जिन ग्रंथों की रचना की उनमें 36 संहिताएं, 72 गीताएं, 27 वंशानुचरित्र, 24 उपवंशानुचरित्र और 100 मालिका ग्रंथ शामिल हैं। महापुरुष ने अपने 'भविष्य मालिका' ग्रंथों में कलियुग से लेकर आगामी सत्ययुग तक होनेवाली सभी मुख्य घटनाओं का उल्लेख किया ताकि उन्हें पढ़कर भक्तों की सोयी चेतना जगे एवं वे प्रभु की खोज कर उनकी शरण ले सकें।
संत अच्युतानंद दास के अनुसार वर्तमान में कलियुग का अंत एवं भगवान विष्णु के दसवें अवतार, भगवान कल्कि का जन्म ओडिशा के जाजपुर जिले में हो चुका है। महापुरुष ने लिखा है कि आगामी तीन-चार वर्ष प्रभु के द्वारा की जाने वाली धर्म-संस्थापना के होंगे जिस दौरान पृथ्वी पर प्रलयंकारी प्राकृतिक आपदाएं, भीषण परमाणविक विश्वयुद्ध, रोग-महामारियां इत्यादि देखी जाएंगी जिनसे पृथ्वी का मौजूदा भूगोल ही बदल जाएगा। महापुरुष बताते हैं कि भगवान कल्कि दुष्टों का विनाश एवं साधु-संतजनों की रक्षा कर धर्म की संस्थापना करेंगे तथा साल 2032 में सत्ययुग का पुनरागमन होगा।
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