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February 9, 2025 at 06:10 AM
भविष्य मालिका के रचयिता महापुरुष अच्युतानंद दास जी का जन्मोत्सव
महापुरुष के श्री चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम।
*परिवार परिचय*
पिता: *श्री दीनबंधु खुंटिआ*
माता: *देवी पद्मावती*
दादा: *गोपीनाथ महांति* (महाराज प्रताप रुद्रदेव के पूर्व चालक)
महाराज प्रताप रुद्रदेव ने दीनबंधु जी को मंदिर में "खूंटिया" की उपाधि दी थी। वे भगवान श्रीजगन्नाथ जी के परम भक्त थे और उनकी सेवा करते थे। इस सेवा के बदले उन्हें महाप्रसाद और मासिक वेतन प्राप्त होता था।
*संतानहीनता और समाज का अपमान*
दीनबंधु जी और उनकी पत्नी पद्मावती को संतान नहीं थी, जिससे वे अत्यंत दुखी रहते थे। एक दिन जब पद्मावती जी पुष्करिणी में स्नान करने गईं, तो अन्य स्त्रियों ने उनका अपमान किया और उन्हें "बांझ" कहकर तिरस्कृत किया। यह सुनकर वे अत्यधिक दुखी हुईं और अपने कक्ष में रोते हुए सो गईं।
जब दीनबंधु जी घर लौटे और पत्नी की व्यथा सुनी, तो उनका हृदय भी टूट गया। उन्होंने मंदिर से लाया हुआ महाप्रसाद वहीं गिरा दिया और भगवान श्रीजगन्नाथ जी से करुण पुकार लगाई:
"हे प्रभु! हमने जीवनभर आपकी सेवा की, फिर भी हमें संतान का सुख नहीं मिला। लोग हमें निसंतान कहकर अपमानित करते हैं, क्या यही आपकी कृपा है?"
उन्होंने नीलचक्र की ओर देखकर शपथ ली कि "जब तक हमें संतान नहीं होगी, हम अन्न-जल ग्रहण नहीं करेंगे और अपने प्राण त्याग देंगे।"
*भगवान जगन्नाथ जी की कृपा*
दंपति की करुण पुकार सुनकर भगवान श्रीजगन्नाथ जी अत्यंत विचलित हो उठे। उन्होंने उसी समय श्रीमंदिर का रत्न सिंहासन छोड़ दिया और स्वप्न में दीनबंधु जी को दर्शन देकर आदेश दिया:
"हे भक्त! मैं तुम्हारी सेवा से अत्यंत प्रसन्न हूँ। अभी मंगल आरती हो रही है, तुम शीघ्र मंदिर के अरुण स्तंभ के पास आओ।"
दीनबंधु जी सपने से जागते ही दौड़े-दौड़े मंदिर पहुँचे। वहाँ उन्होंने देखा कि मंदिर से 10,000 सूर्य की किरणें प्रकट हो रही थीं। वे विस्मित रह गए। तभी भगवान जगन्नाथ जी ने अपनी दोनों भुजाएँ रत्न सिंहासन से बाहर निकालीं और दीनबंधु जी को एक दिव्य बालक सौंपते हुए कहा:
"हे भक्त! यह कोई साधारण बालक नहीं, बल्कि अत्यंत दिव्य और असाधारण आत्मा है। इसकी कीर्ति से समस्त संसार प्रकाशमान होगा। इसका नाम अच्युत रखना।"
*अच्युतानंद दास जी – अयोनिज महापुरुष*
उड़ीसा की लोक कथाओं के अनुसार, महापुरुष अच्युतानंद दास जी का जन्म नहीं हुआ, बल्कि वे भगवान जगन्नाथ जी की कृपा से प्रकट हुए थे। वे भगवान श्रीजगन्नाथ जी के अंश हैं और अयोनिज महापुरुष माने जाते हैं, अर्थात उनका जन्म किसी स्त्री की कोख से नहीं हुआ।
भगवान जगन्नाथ जी ने उन्हें अपने कृपा प्रसाद स्वरूप दीनबंधु जी को प्रदान किया था।
जय श्री माधव!
जय जगन्नाथ!
जय अच्युतानंद जी!
🙏
❤️
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