THE Poetry
February 4, 2025 at 05:46 AM
हाथ से निकल गई स्त्रियां
मेहंदी की जगह कामयाबी सजाती है
संवरने की जगह सफलता को अपनाती हैं
चूल्हे की जगह चूल्हा बनाना सीखती है
चार दीवारों में कैद होने की बजाय घर अपना बनाती है
खिड़की से चांद देखने की बजाय चांद तक जाती है
वो स्त्री किसी के नाम को अपनाने की बजाय नाम अपना बनाती है
हर स्त्री को हाथ से निकल जाना चाहिए
ताकि वो किसी की हाथों की मोहताज़ न हो ।।
🦋🌻
🙏
❤️
3