रोहतास युथ कॉपरेशन शाहाबाद की एक झलक
रोहतास युथ कॉपरेशन शाहाबाद की एक झलक
February 21, 2025 at 11:29 AM
**"देश के नाम एक बेटी का खुला पत्र: मौन' तोड़ो, न्याय दो, वरना बेटियां यों ही तड़पति रह जाएगी !"** ### **मैं भारत की वो बदनशीब बेटी और आवाज़ हूँ जो चिता की आग में जलकर भी मौत से लड़ रही है। मेरी चीख़ सवालों के रूप मे आज भी बनारस की गलियों में गूंज रही है **प्रिय देशवासियों, मुझे तो आज भी इंसानियत पे भरोसा हैं, मेरा ये पत्र पुरे समाज, नेताओं, मुख्य न्यूज चैनलों, पुलिस, भारत के हर माँ-बाप, भाई-बहन, धर्मगुरुओ और संसार के सभी ब्यक्तियो के नाम हैं जिनका आज भी जमीर जिंदा हैं और जिन्हें अपने ईमान पे भरोसा है...** ### **मेरी चिट्ठी का मकसद:** मैं नहीं चाहती कि मेरी तरह कोई और बेटी "केस नंबर" बने। मैं नहीं चाहती कि किसी माँ का दिल "FIR दर्ज करवाने" के चक्कर में टूटे। मैं नहीं चाहती कि पुलिस और सिस्टम की खामोशी किसी और की आवाज़ दबाए।.... **यह पत्र सिर्फ़ मेरा नहीं, हर उस बेटी के लिए हैं जो डरती है पर घर से बाहर जाकर पढ़ती हैं :** ### **मेरा सवाल हर देशवासी से है**### " क्यों एक पढ़ने वाली मासूम की ज़िंदगी, उसके हत्यारे की यैयासी, मीडिया की TRP और राजनीति से सस्ती थी? क्यों मेरी मौत पर 'ब्रेकिंग न्यूज़' नहीं, बल्कि 'ब्रेकिंग सिस्टम' हुआ?"** 1. **समाज से**- "क्यों बलात्कार होने पर बेटी की 'इज्ज़त' मर जाती है, पर बेटे की नहीं?" - उन मर्दों के नाम जिन्हें औरत की इज्ज़त से खेलना आता है, सम्मान करना नहीं। - और उन हर भारतीय के नाम जो चुप बैठे हैं और ये सोच रहे हैं हमारे घर या समाज मे मे थोड़े हुवा हैं ... 2.**मीडिया वालों से:** -"क्या 'प्राइम टाइम' सिर्फ़ सियासत की चिल्लाहट के लिए है? - "जब एक बेटी जलती है, तो आपके कैमरे क्यों ठंडे हो जाते हैं? -क्या दर्द की खबरें 'रेवड़ी' बांटने वालों के एजेंडे में फिट नहीं होतीं? और -"क्या आपकी 'न्यूज़ वैन' सिर्फ़ नेताओं के दलाली के लिए चलती है? **शर्म करो!** आज मेरे साथ हुए जुल्म पर चुप रहकर, आपने उन सभी दरिंदों को इजाज़त दे दी कि वे कल किसी और बेटी को जला दें! **सुनो!** अगर आज तुमने मेरी चीख़ को अनसुना किया, तो कल तुम्हारी बेटी की आहट भी " तुम्हारी खबर बनकर रह जाएगी"। 3.नेताओं के नाम: प्रधान मंत्री जी,** आपके संसदीय क्षेत्र में अगर बेटियाँ सुरक्षित नहीं, तो "बेटी वचाओ, बेटी पढ़ाओ" का झूठा नारा क्यों? UP के मुख्यमंत्री, आपके राज्य में पुलिस अगर अपराधियों की दलाल है, तो "रोमियो स्क्वॉड" किसके लिए? MP/MLA- आप कबतक भवन मे वही सवाल उठाएंगे, जिससे आपको, आपके समाज को या आपकी पार्टी को फायदा होगा? 4. पुलिसवालों के नाम: जब आप खुद अपराधियों के साथ हो, तो हम किसके भरोसे जिएँ आपने क्यों मेरी लास मेरे माँ बाप को ले जाने नहीं दिया। जब थाने मे रिपोर्ट की गई, तो उसके 9 दिन बाद FIR क्यों की गई"** 6**माँ-बाप,** "क्यों बेटों के कार्यों पे उन्हें नहीं टोकते, क्यों गुनाह करने से उन्हें नहीं रोकते। संस्कार केवल बेटियों के लिए ही क्यों हैं - **भाइयों से ** अगर आपने आज मेरे लिए आवाज़ नहीं उठाई, तो कल आपकी बहन की इज्ज़त भी "खबर" बनेगी और आपके कलाई पे रखी कौन बंधेगा। **कॉल टू एक्शन: अब बात करने का वक्त नहीं, लड़ने का वक्त है!** 1. **सड़कों पर उतरो!** - सप्ताह के अंत मे अपने जिला मुख्यालय और दिल्ली मे जंतर-मंतर आओ। 2. -सोशल मीडिया को हथियार बनाओ! - मेरी कहानी शेयर करो। 3. हैशटैग लगाओ: **#justiceforsasaramdaughter** 4. टैग करो:** *"क्या बनारस की बेटी की मौत 'न्यूज़' नहीं, या आपके मालिकों ने मना किया है?"* 5. बहिष्कार करो:** उन चैनलों का, जो TRP के लिए नेताओं की चाटुकारिता करते हैं, पर बेटियों का दर्द नहीं दिखाते। 6. पोस्टर बनाओ: **"राष्ट्रीय चैनल! होश मे आओ , तुम्हारी 'राष्ट्रीयता' झूठी है!" 7. पत्र लिखो: - राष्ट्रपति, PMO, NHRC को ईमेल/पत्र भेजो। - लिखो: "अगर बनारस सुरक्षित नहीं, तो भारत 'सुरक्षित' कैसे?" "हम नहीं चाहते भीख में न्याय, हम केवल चाहते हैं कानून का राज!" 8. आंदोलन करो और सिस्टम को काम करने के लिए मजबूर करो मेरी अंतिम गुजारिश: मेरी मौत को व्यर्थ मत जाने दो। अगर आज आप चुप रहे, तो कल आपकी चुप्पी किसी और बेटी के खून का हिसाब देगी। "मेरी लाश जल गई, पर मुझे संतोष तब तक नहीं होगा, जब तक इस देश की हर बेटी को इंसाफ़ नहीं मिलता!" **मांगें: - गुनहगार को 24 घंटे में गिरफ्तारी। - पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा और निलंबन। - Fast-Track Court" में केस की सुनवाई। -घर वालों को 2 करोड़ की सहायता ताकी बुढ़ापे की सहारा बन सकूँ। ***हस्ताक्षर:** एक बेटी जो मरकर भी सवाल बन गई... #justice_for_bharat_ki_beti #भारत_की _बेटी _को _न्याय _दो -यह पत्र पढ़कर अगर आपका सिर शर्म से झुक गया, तो अपने सिर उठाइए! क्योंकि **"शर्म तो उन्हें होनी चाहिए जिन्होंने मेरी आवाज़ दबाई, आपको तो गुस्सा आना चाहिए!"* अब वक्त है चुनने का: या तो न्याय के लिए लड़ो, या फिर अपनी बेटियों को चिता की लपटों के लिए तैयार करो!
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