Parul Bhardwaj
                                
                            
                            
                    
                                
                                
                                February 1, 2025 at 03:54 PM
                               
                            
                        
                            छिपाना पड़ जाए मुंह कर्जदारों से, स्वाभिमान चकनाचूर कर दें,
भाड़ में जाएं ऐसी ख़्वाहिशें, जो उधार मांगने पर मजबूर कर दें....
                        
                    
                    
                    
                    
                    
                                    
                                        
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