محمد جمال الدین خان قادِری
محمد جمال الدین خان قادِری
February 16, 2025 at 10:34 AM
फ़ुक़हाए किराम के ❼ दर्जात का तआ़रुफ़: ✍मुह़म्मद *नास़िर जमाल अ़त़्त़ारी* मदनी 📝मुह़म्मद जमालुद्दीन ख़ान क़ादिरी रज़वी फ़िक़्हे इस्लामी ज़िन्दगी गुज़ारने और मसाइले ज़िन्दगी को ह़ल करने वाला मुकम्मल क़ानून है - हमारे बुज़ुर्गाने दीन علیہم الرحمہ ने इ़ल्मे फ़िक़्ह के ह़ुस़ूल और इशाअ़त के लिए अपनी ज़िन्दगियां वक़्फ़ कर-दीं और उम्मत को दर पेश मसाइल का ह़ल पेश करके शरीअ़त पर अ़मल करने की राहें हमवार कीं - https://whatsapp.com/channel/0029Va4xNTcBlHpj2ZXcdA3J फ़िक़्ह के मैदान में गिरांक़द्र ख़िदमात अन्जाम देने वाले उ़लमाए किराम को फ़ुक़हा ने मुख़्तलिफ़ त़बक़ात में तक़सीम किया है, *चुनांचे फ़ुक़हाए किराम के 7 दर्जे हैं:* ❶ *`मुज्तहिदे मुत़लक़:`* वोह मुज्तहिद जो क़वानीन बनाने और दलाइले अरबअ़ह (यअ़्नी क़ुरआन, ह़दीस, इज्माअ़्, क़ियास) से अह़काम व फ़ुरूअ़् (यअ़्नी जुज़्इय्यात) का इस्तिम्बात़ कर सके नीज़ इस सिलसिले में येह ह़ज़रात किसी और इमाम के मोह़ताज न हों - जैसे इमामे अअ़्ज़म अबू ह़नीफ़ह, इमामे शाफ़िई़, इमामे मालिक, इमाम अह़मद बिन ह़म्बल علیہم الرحمہ - ❷ *`मुज्तहिद फ़िल्-मज़हब:`* वोह मुक़ल्लिद जो अपने इमाम के बनाए गए क़वानीन की रौशनी में अह़काम के इस्तिम्बात़ की अहलिय्यत रखता हो अगर्चे वोह अपने इमाम की फ़ुरूअ़् में मुख़ालिफ़त करते हों मगर उस़ूल में अपने ही इमाम की पैरवी करता हो - *जैसे* इमाम अबू यूसुफ़ और इमाम मुह़म्मद علیہما الرحمہ - [रद्दुल मुह़तार, जिल्द¹, पेज¹⁸¹, जद्दुल मुम्तार, जिल्द¹, पेज³⁰¹] *`याद रखिए!`* मुज्तहिद फ़िल्-मज़हब ह़ुक्म का इस्तिख़राज उसी स़ूरत में करेगा कि जब उसे अपने इमाम का एक क़ौल भी न मिले, अगर उसे अपने इमाम का एक क़ौल भी मिल गया तो वोह उसकी मुख़ालिफ़त नहीं करेगा - जिन मसाइल में दो या इस से ज़ाइद अक़वाल हों और उनमें से किसी क़ौल को मुज्तहिदे मुत़लक़ ने इख़्तियार कर लिया हो तो मुज्तहिद फ़िल-मज़हब दीगर अक़वाल में से कोई एक क़ौल कर सकता है, *यही वस़्फ़* मुज्तहिद फ़िल-मज़हब को दीगर त़बक़ात से मुम्ताज़ करता है - [जद्दुल मुम्तार, जिल्द¹, पेज³⁰¹] ❸ *`मुज्तहिद फ़िल्-मसाइल:`* वोह मुक़ल्लिद मुज्तहिद जो उस़ूल व फ़ुरूअ़् में अपने इमाम की मुख़ालिफ़त तो न करे मगर उस़ूल व क़वाइ़द को पेशे नज़र रख कर ग़ैर मन्स़ूस़ मसाइल को ह़ल करने की अहलिय्यत रखता हो - *जैसे* इमाम कर्ख़ी, इमाम सरख़्सी علیہما الرحمہ - ❹ *`अस़्ह़ाबे तख़रीज:`* वोह मुक़ल्लिद फ़क़ीह जो इज्तिहाद तो न कर सकें अल्-बत्तह उस़ूल और माख़ज़ पर गहरी नज़र रखने की वजह से मसाइल से इज्माल व एह़तिमाल को दूर करने की स़लाह़िय्यत रखते हों नीज़ उन में फ़ुरूई़ मसाइल की मिसालों की रौशनी में क़ियास करने की स़लाह़िय्यत भी मौजूद हो - *जैसे* ह़ज़रत इमाम अह़मद बिन अ़ली राज़ी علیہ الرحمہ - ❺ *`अस़्ह़ाबे तरजीह़:`* वोह मुक़ल्लिद फ़क़ीह जिस में फ़िक़्ही रिवायात में से किसी एक को तर्जीह़ देने की स़लाह़िय्यत मौजूद हो *जैसे* इमाम क़ुदूरी علیہ الرحمہ - ❻ *`अस़्ह़ाबे तमयीज़:`* वोह मुक़ल्लिद फ़क़ीह जो अक़्वा, क़वी और ज़ई़फ़ रिवायात में फ़र्क़ करने पर क़ादिर हो *जैसे* स़ाह़िबे कन्ज़ुद् दक़ाइक़ इमाम अबुल बरकात अ़ब्दुल्लाह बिन अह़मद नसफ़ी علیہ الرحمہ - ❼ *`मुक़ल्लिदे मह़्ज़:`* वोह मुक़ल्लिद जो ज़िक्र कर्दह स़लाह़िय्यतों में से कोई भी न रखता हो - इन में आ़म मुसलमान शामिल हैं - [रद्दुल मुह़तार, जिल्द¹, पेज¹⁸¹-¹⁸⁴] मुक़ल्लिदे मह़्ज़ को फ़ुक़हा के त़बक़ात में शामिल करने में इस बात की जानिब इशारह है कि जो ख़ुद में गुज़श्तह 6 त़बक़ात में ज़िक्र कर्दह अहलिय्यत न पाता हो वोह उन त़बक़ात के फ़ुक़हा का दामन थाम ले - हमारे फ़ुक़हाए किराम علیہم الرحمہ ने इ़ल्मे फ़िक़्ह के ह़ुस़ूल की ख़ात़िर बरसों मेह़नत और दिन रात कोशिश फ़रमाई, इस राह में आने वाली मुश्किलात और आज़माइशों को बर्दाश्त किया जिसके नतीजे में आज हम उन पाकीज़ह हस्तियों को अच्छे अल्फ़ाज़ से याद करते हैं - हमें चाहिए कि उन बुज़ुर्गों की सीरत का मुत़ालअ़ह करें, उनके इ़ल्मी असासे से इस्तिफ़ादह करने की अहलिय्यत पैदा करें और इ़ल्मे दीन के ज़ेवर से आरास्तह होकर मुसलमानों के मज़हबी, मआ़शी, मुआ़शरती, इक़्तिस़ादी और तिजारती मसाइल को ह़ल करने के लिए आगे बढ़ें - *अल्लाह पाक हमें इ़ल्मे दीन ह़ास़िल करने की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए -* आमीन ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ یہ تحریر `اردو Urdu उर्दू` مِیں ↶ https://whatsapp.com/channel/0029Va4xNTcBlHpj2ZXcdA3J/756 Yeh Ta'hreer `ᴿᵒᵐᵃⁿ ᵁʳᵈᵘ` Men ↷ https://whatsapp.com/channel/0029Va4xNTcBlHpj2ZXcdA3J/754
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