محمد جمال الدین خان قادِری
محمد جمال الدین خان قادِری
February 21, 2025 at 12:15 PM
*उ़लमाए बात़िन और उ़लमाए ज़ाहिर* ✍ मौलाना त़ारिक़ अनवर मिस़्बाह़ी 📝 मुह़म्मद जमालुद्दीन ख़ान क़ादिरी https://whatsapp.com/channel/0029Va4xNTcBlHpj2ZXcdA3J ❶ ह़ज़राते औलियाए किराम علیہم الرحمہ को मअ़्रिफ़ते इलाही ह़ास़िल होती है, लिहाज़ा वोह उ़लमाए बात़िन कहलाते हैं और शरीअ़ते इस्लामियह का वसीअ़् इ़ल्म रखने वालों को उ़लमाए ज़ाहिर कहा जाता है *और उ़लमाए बात़िन, उ़लमाए ज़ाहिर व अ़वामे मुस्लिमीन सबके लिए शरीअ़ते इस्लामियह पर अ़मल लाज़िम है - कोई इस से मुस्तसना नहीं है -* अ़स़रे ह़ाज़िर में नौ फ़ारिग़ीन की येह ख़वाहिश होती है कि लोग उनको मुह़क़्क़िक़ व मुदक़्क़िक़ मान लें और मुअ़म्मिरीन की येह तमन्ना होती है कि उनको वलिय्युल्लाह और आ़रिफ़े बिल्लाह तस्लीम कर लिया जाए, अगर्चे मअ़्रिफ़ते इलाही की रौशनी उनसे बहुत दूर हो - दर ह़क़ीक़त येह सब नफ़्से अम्मारह के धोके हैं - ❷ बुज़ुर्गों को चाहिए कि अहले दुनिया से दूर हो जाएं और ख़लवत नशीं होकर अल्लाह तआ़ला की ह़क़ीक़ी क़ुरबत ह़ास़िल करने की कोशिश करते रहें और अपनी आख़िरत की फ़िक्र में लगे रहें - लोगों से राह व रस्म कम कर दें, क्योंकि फ़ित़री त़ौर पर बुढ़ापे में लोगों को येह ख़्वाहिश होती है कि सब लोग उनके ताबेए़ फ़रमान और उनकी बातों पर आमन्ना व स़द्दक़ना कहने वाले बन जाएं, यअ़्नी उनके *अंधभक्त* हो जाएं - आपको इसी फ़ित़रते इन्सानी और नफ़्से अम्मारह से पीछा छुड़ाना है और कोशिश करें कि कम अज़ कम नफ़्से लव्वामह की मन्ज़िल को पा लें - नफ़्से मुत़-मइन्नह तक पहुँच जाने का दिल में ख़याल लाना और नफ़्से अम्मारह का मुरीद बना रहना यक़ीनन नुक़्स़ान दह है - ख़ुद को वलिय्युल्लाह और आ़रिफ़े बिल्लाह मनवाने की चाहत ख़ुद ही आप की बात़िनी कमज़ोरी को ज़ाहिर कर रही है जिस को *अन्धभक्त* समझें या न समझें, अहले अ़क़्ल ख़ूब समझते हैं और यही लोग दुनिया चलाते हैं - इस क़िस्म की ख़्वाहिशें मह़्ज़ बद-गुमानी को बढ़ावा देती हैं और आपको ख़िदमते दीन की बजाए ख़िदमते नफ़्स की त़रफ़ मुतवज्जह कर देती हैं और आपको इसका एह़सास भी नहीं हो पाता - ❸ नौ जवान त़ब्क़ह इतना याद रखे कि मा व शुमा (हम और तुम) उन बलन्द रुत्बह हस्तियों में से नहीं जो मह़्ज़ रज़ाए ख़ुदा-वन्दी के त़लब गार होते हैं, ख़्वाह उनको कोई दूसरी नेअ़्मत मिले या न मिले, लेकिन रज़ाए ख़ुदा वन्दी ज़रूर मिले - जब हम लोग उस बलन्द मन्ज़िल से कोसों दूर हैं तो हमें दुनिया और आख़िरत की नेअ़्मतें भी चाहिए और रज़ाए ख़ुदा-वन्दी भी, पस जाइज़ त़रीक़े पर ह़ुस़ूले दुनिया और आख़िरत संवारने वाले काम करें - *तदरीस व इमामत अस्बाबे मआ़श में से नहीं हैं, बल्कि ब-वजहे ह़ाजत मु-त-अख़्ख़िरीने फ़ुक़हाए किराम ने तदरीस व इमामत पर उजरत को जाइज़ क़रार दिया है* और आप देख रहे हैं कि जो चीज़ ब-वजहे ह़ाजत जाइज़ की गई है, उस में बरकत भी ज़रूरत ही की मिक़्दार में है - इस होश रुबा मंहगाई के ज़माने में भी अइम्मह व मुदर्रिसीन की तन्ख़्वाहें दस बारह हज़ार से आगे बढ़ने से शरमा रही हैं - इस की ग़ैरत व ह़या इसे पेश क़दमी से रोक रही है - जब इमाम व मुअज़्ज़िन किसी ख़रचीले मर्ज़ में मुब्तला हों या बच्चियों की शादी की नौबत आ जाए तो मुक़्तदियों के ज़हन में चन्दह का तस़व्वुर उभरता है, क्योंकि येह वाज़ेह़ ह़क़ीक़त है कि मोह़तरम ह़ज़रात की तिजोरी खोटे दीनार व दिरम से भी ख़ाली होती है - लोगों से भीक लेने से बेहतर है कि स़ह़ीह़ अस्बाबे मआ़श की त़रफ़ क़दम बढ़ाएं और लोग आपको एक सच्चा मोमिन मानें और लोगों के मानने या न मानने का कोई एअ़्तिबार नहीं - आप ख़ुद ही अपनी निगेहबानी करते रहें और नफ़्से अम्मारह को कमज़ोर करने या ज़िन्दह दफ़न करने की कोशिश करें - कुछ वर्ज़िश भी करें, ताकि आप स़ेह़त मन्द रहें और दिमाग़ी तवाज़ुन भी बह़ाल रहे, फिर आप अच्छा सोचें और ह़क़ाइक़ को समझें और आप अल्लाह तआ़ला की नेअ़्मतों के शुक्रियह के त़ौर पर ख़ुश उस्लूबी और इख़्लास़ के साथ ख़िदमते दीन अन्जाम देते रहें और यही मक़्स़ूदे अस़्ली है - नाम व नुमूद बेकार है - ❹ तम्बाकू, खैनी, बीड़ी, सिगरेट, ज़र्दह पान, गुटखा व दीगर हल्के मन्शिय्यात से भी परहेज़ करें और उन सब की रक़म अपने रिश्ते दारों के बच्चों में ब-त़ौरे त़ोह़फ़ह तक़सीम कर दें, ताकि स़िलह रह़मी हो - अगर वोह स़ाह़िबे सरवत हों तो दीगर ग़ुरबा व मसाकीन को दे दें, ताकि ज़ख़ीरए आख़िरत हो - ❺ अगर कोई अ़मली गुनाह या फ़िक्री व एअ़्तिक़ादी लग़्ज़िश व ख़त़ा सरज़द हो जाए तो मअ़्लूम हो जाने पर तौबह व रुजूअ़् करके मुआ़मलह को रफ़अ़् दफ़अ़् करदें - बुराई को ज़िन्दह रखना भी बुरा है, पस उसे दफ़न करदें - ✍ मौलाना त़ारिक़ अनवर मिस़्बाह़ी जारी कर्दह: 10 फ़रवरी 2025 ई़स्वी 📝 मुह़म्मद जमालुद्दीन ख़ान क़ादिरी ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ یہ تحریر `اردو Urdu उर्दू` مِیں ↶ https://whatsapp.com/channel/0029Va4xNTcBlHpj2ZXcdA3J/780 येह तह़रीर `हिंदी Hindi ہندی` में ↷ https://whatsapp.com/channel/0029Va4xNTcBlHpj2ZXcdA3J/779
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