🕉️🇮🇳 वंदेमातरम्🚩🚩🇮🇳🇮🇳
February 27, 2025 at 06:30 PM
तमिलनाडु की राजनीति का आधार है भाषाई द्वन्द.
1960 के दशक से तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टियों ने तमिल भाषा के समर्थन में एक छद्म दुश्मन बना लिया है.... हिंदी भाषा को.
और तभी से यह नेता और पार्टियां आम लोगों को भड़काते रहते हैं..... कि हिंदी Imposition हो जायेगा... तमिल ख़त्म हो जायेगी....फलाना ढिमका
और इसी डर की वजह से इनकी राजनीति चल रही है... इसी वजह से यह लोग सत्ता में बने हुए हैं.
चलिए हम मान लेते हैं... स्थानीय भाषा का सम्मान होना चाहिए... लेकिन किसी दूसरी भाषा को नीचा दिखा कर नहीं होना चाहिए. और अगर विरोध करना ही है तो सभी बाहरी भाषाओं का करो....... लेकिन वह नहीं होता... क्यूंकि Foreign भी जाना है ना Saar.
लेकिन यहाँ एक विडंबना भी है... जिस तमिल के अस्तित्व को बचाने के लिए यह लोग हल्ला मचाते हैं... उसी तमिल भाषा में स्थानीय लोगों की Proficiency अब बेहद कम हो गई है.
अब इसका दोष किसे देंगे??
जिस भाषा को कथित रूप से बचाने के लिए 60-70 सालों से उत्तर दक्षिण, हिंदी तमिल का द्वन्द बना रखा है.....उसी को आपके बच्चे और युवा नहीं बोल रहे हैं..... यह तो शर्म से डूब मरने वाली बात है.
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