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March 1, 2025 at 02:59 AM
तेजस्वी यादव चूँकि बिहार चुनावी वर्ष में है तो राजनीतिक पारा बढ़ेगा। बीते दिन पीएम मोदी ने भागलपुर से चुनाव प्रचार की नींव रख दी। आरजेडी पर हमला बोला था। तो वही, तेजस्वी यादव ने कहा, कोई गुजरात का गुजराती आकर बिहार को आगे बढ़ाने वाला नहीं है, बिहार को बिहार का बेटा और बिहारी मिलकर ही आगे बढ़ाएगा” सहमत हूँ। लेकिन बिहार में गुजराती कब सीएम बना या बनने वाला है। केंद्र में गुजराती है और 2029 तक पीएम है और आगे भी संभावनाएं है। खैर बिहार के बेटे में लालू यादव का जंगल राज देखा गया है। इसकी बानगी के बारे में पूर्व सीएम लालू यादव के साले सुभाष यादव ने अपने हालिया इंटरव्यू में खुलासा किया कि “लालू के मुख्यमंत्री रहते अपहरण की डील्स सीधे मुख्यमंत्री आवास से तय होती थीं। नेपाल बॉर्डर के एक केस में लालू और शहाबुद्दीन ने फोन पर डील फिक्स की, फिर अपहृत को छोड़ा गया।” आगे बताते है “अपहरण एक उद्योग था, लालू मास्टरमाइंड थे। यहाँ तक कि मीसा भारती की शादी के लिए गाड़ियाँ भी शोरूम से उठवाई गईं।” तो वही, साधु यादव ने जवाब दिया- “सुभाष झूठ बोल रहे हैं, ये उनका पुराना विवाद है।” RJD खामोश, लेकिन बिहार की सियासत गरमा गई। तेजस्वी यादव को इस मामले पर आरजेडी से रोशनी डालनी चाहिए कि बिहार के बेटे ने कैसा उद्योग लगाया था कि बिहारियों को किडनैप करके फिरौती की डील फाइनल करते थे। ऐसे ही बिहार को आगे बढ़ायेंगे। क्योंकि तेजस्वी को राजनीति विरासत में मिली है और इसकी पटकथा लालू यादव ने लिखी थी। ऐसे माहौल में तेजस्वी अपने नेताओ और कार्यकर्ताओं को कैसे संभालेंगे, जिनका प्रशिक्षण जंगल राज के स्वर्णिम काल में हुआ था। हालांकि सी वोटर ने बिहार में ट्रैकर लगा दिया और सीएम की पहली पसंद में तेजस्वी यादव को पहले स्थान पर रखा था। बिहार के आंकड़े देखें, खासकर 2015-2024 लोकसभा चुनाव तक, बीजेपी अकेली लड़ी तो वोट शेयर अधिक पाई, किंतु सीट में कन्वर्ट नहीं हुआ। आरजेडी अकेले चुनाव में गई तो अधिक वोट प्रतिशत मिला। गठबंधन में वोट % कम हुआ लेकिन जीत मिली है। ऐसे में बीजेपी और आरजेडी क्या निर्णय लेती है। इंटरेस्टिंग फैक्ट, सरकार कोई भी गठबंधन बनाये, सीएम नीतीश कुमार रहे है। बिहार से इन्हें इग्नोर करना कतई संभव नहीं है। 2025 विधानसभा चुनाव इसी मैनेजमेंट में लड़ा जाएगा। बीजेपी नीतीश के साथ जाएगी तो सीट शेयरिंग में जेडीयू से कम तो नहीं लड़ेगी, हो सकता है ज़्यादा लड़े। चुनाव बाद नीतीश राज्यपाल हो जाए, लेकिन चुनावी चेहरा तो रहेंगे। शायद बीजेपी कुछ अलग रणनीति पर चल रही है। उधर, आरजेडी, कांग्रेस को मैनेज करेगी। तो कांग्रेस भी अपने दो पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को साइड नहीं करने वाली है। इसलिए इब चुनाव मजेदार होना है। सीएम नीतीश अब पाला नहीं बदलने वाले है, क्योंकि उन्हें आरजेडी से बेहतर बीजेपी से डील मिलेगी। केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल, या उपराष्ट्रपति, जो भी उनके कद में फिट बैठेगा तो बैठा लेंगे। इतना तय है कि ये चुनाव बिहार की राजनीति को बदल देगा। जबकि खलिहर तेजस्वी यादव के पक्ष में माहौल बनाने लग गए है। इधर केंद्र सरकार ने कहा है अब सभी पर शिकंजा कसा जाएगा। यानी रणवीर और समय के मुद्दे से खलिहर को भी टाइट करेगी। अजीत अंजुम तो अभी से परेशान है। बीजेपी डिफेंसिव नहीं होना चाहती है इसका नतीजा लोकसभा में भुगत चुकी है। हो सकता है कन्हैया कुमार वाला जेएनयू प्रकरण भी खुल जाए। वंदे मातरम का app आ गया है । सभी सदस्य नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके तुरंत ही जुड़ें और अपना सदस्य Community कार्ड प्राप्त करे - Powered by Kutumb App https://kutumbapp.page.link/eZFALRkJyE5gApWp8?ref=VK58C

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