RAZA E MUSTAFA ﷺ
February 22, 2025 at 06:27 AM
*उम्मते मुस्लिमा पर आफ़ात व बल्लियात का आना???*
सुर्ख आंधियाँ:
हज़रत मौलाए-काइनात, अलीُّ उल-मुर्तज़ा शेरे ख़ुदा क़र्रमَल्लाहु तआला वज्हहुल करीम से रिवायत है, ताजदारे रिसालत, महबूब रब्बुल इज़्ज़त अज़्ज़ व जल्ल व सल्लल्लाहु तआला अलैहि वआलिहि वसल्लम का फरमाने इबरत-निशान है:
*जब मेरी उम्मत पंद्रह (15) ख़सलतें इख़्तियार कर लेगी तो उस पर आफ़तें और बलाएँ नाज़िल होंगी*। अर्ज़ की गई: या रसूलुल्लाह ﷺ ! वो कौन सी ख़सलतें हैं?
फ़रमाया:
१:-जब माले ग़नीमत को ज़ाती दौलत बना लिया जाए,
२:-अमानत को माले ग़नीमत बना लिया जाए,
३:-ज़कात को जुर्माना समझा जाए,
४:-आदमी अपनी बीवी की इताअत करे,
५:-माँ की नाफ़रमानी करे,
६:-दोस्त के साथ भलाई करे,
७:-बाप के साथ बेवफ़ाई करे,
*८:-मसाजिद में आवाज़ें बुलंद की जाएँ (यानी मस्जिदों में दुनियावी बातों का शोर, लड़ाइयाँ-झगड़े होने लगें)। नात-ख़्वानी, ज़िक्रुल्लाह की मजलिसें, मिलाद शरीफ़, ज़िक्र के हल्के तो हुज़ूर (अलैहिस्सलाम) के ज़माने में भी मस्जिदों में होते थे*। (मिरआतुल मनाजीह़ जिल्द 7, स. 263, ज़िया-उल-क़ुरआन)),
*९:-सबसे रज़ील (यानी कमीना तरीन) शख़्स को क़ौम का सरदार बना लिया जाए*,
*१०:-किसी शख़्स के शर से बचने के लिए उसकी इज़्ज़त की जाए,
११:-शराबें पी जाएँ,
१२:-रेशम पहना जाए,
१३:-गाने वालियों को रखा जाए,
१४:-आलाते मौसीक़ी को रखा जाए,
*१५:-इस उम्मत के बाद वाले पहले वालों को बुरा कहें*,
*उस वक़्त लोगों को सुर्ख आंधियों, या ज़लज़लों, या ज़मीन में धँसने, या चेहरों के मस्ख़, या पत्थर बरसने का इंतिज़ार करना चाहिए*।
*📚📚सुनन तिर्मिज़ी जिल्द 4, स. 89-90, हदीस 2217, 2218, दारुल फ़िक्र, बैरूत*
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