
Accessible vision society
February 14, 2025 at 05:22 AM
*धार्मिक नफरत से बढ़कर, इंसानियत की क़ीमत,*🇮🇳
*किसी के भी घर में, न हो कोई सख़्त दर्द।*🇮🇳
*पुलवामा में वो हमला हुआ, बेकसूरों का खून,*🇮🇳
*हर दिल में ग़म का सैलाब, एक क़त्ल का जश्न।*🇮🇳
*वो वीर जवान शहीद हुए, अपने क़दमों में वीरता,*🇮🇳
*देश की धरोहर, उनकी शहादत की महक हमेशा रहेगी।*🇮🇳
*कभी भी न हम भूलेंगे, वो बलिदान का वचन,*🇮🇳
*जो इन्होंने दिया था, नतमस्तक होकर मन।*🇮🇳
*पुलवामा का वो दिन था, यादों में बसा रहेगा,*🇮🇳
*पर हर एक आतंकवाद को, हम सब मिलकर हराएंगे।*🇮🇳
*देश की अस्मिता को हम, हमेशा ऊंचा रखेंगे,*🇮🇳
*हमारे हर सैनिक कभी हार नहीं मानेंगे।*🇮🇳
यह कविता उन सभी वीर जवानों की शहादत और देश के लिए उनके समर्पण को श्रद्धांजलि अर्पित करती है, जो पुलवामा हमले में शहीद हुए।
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