
हम सब मिथिलावासी
February 6, 2025 at 06:47 AM
मैथिल संस्कृति आ बसंत पंचमी के संबंध
मैथिल संस्कृति मे बसंत पंचमी (वसंत पंचमी) देवी सरस्वती केर पूजा सँ गहींर रूपेँ जुड़ल अछि। ई पर्व विद्या, बुद्धि, आ वसंत ऋतु के आगमन के रूप मे मनाओल जाइत अछि।
इतिहासिक उत्पत्ति
• मिथिला मे सरस्वती पूजा के परंपरा बहुत पुरान अछि। मानल जाइत अछि जे ई परंपरा विदेह राज्य (1000 ईसा पूर्व - 500 ईसा पूर्व) सँ चलि आबि रहल अछि, जखन मिथिला ग्यान आ विद्या के प्रमुख केंद्र छल।
• राजा जनक के दरबार विद्वान सभ सँ भरल छल, जइमे याज्ञवल्क्य, गार्गी, आ मैत्रेयी जइसँ महान विद्वान छलाह। एहि दौरान सरस्वती पूजा के विशेष महत्व छल।
• ई परंपरा कर्नाट आ ओइनवार राजवंश (12वीं–16वीं शताब्दी) के समय मे आरो मजबूत भेल जखन संस्कृत आ मैथिली भाषा के विकास भऽ रहल छल।
मिथिला मे बसंत पंचमी के उत्सव
• एहि दिन बच्चा सभ के पहिल बेर लेखन (अक्षरारंभ) कराओल जाइत अछि, जे विद्या आरंभ के शुभ अवसर मानल जाइत अछि।
• घर, विद्यालय, आ मंदिर सभ मे सरस्वती माता के पूजा होइत अछि। पुस्तक, कलम, आ वाद्य यंत्र के देवी सरस्वती के चरण मे रखल जाइत अछि आ हुनकर आशीर्वाद लेल जाइत अछि।
• मिथिला मे पतंगबाजी सेहो एहन परंपरा अछि, जे बसंत ऋतु के स्वागत करबाक प्रतीक मानल जाइत अछि।
• एहि दिन मैथिली लोकगीत आ विद्यापति के गीत सभ गेबाक विशेष परंपरा अछि।
विद्यापति आ मिथिला के साहित्यिक परंपरा
• विद्यापति (14वीं-15वीं शताब्दी) के रचना सभ मे सरस्वती के विशेष स्थान रहल अछि। ओ सरस्वती वंदना लिखने छथि, जइ सँ मिथिला मे ई पूजा आर महत्वपूर्ण भऽ गेल।
• मिथिला तंत्र, वेद, आ साहित्य के प्रमुख केंद्र रहल अछि, आ एहि ठामक टोल (गुरुकुल व्यवस्था) सभ मे सरस्वती पूजा के विशेष स्थान अछि।
परंपरा के निरंतरता
• आजुक दिनो मैथिली-भाषी क्षेत्र (बिहार, नेपाल, झारखंड) मे बसंत पंचमी बहुत धूमधाम सँ मनाओल जाइत अछि। सांस्कृतिक कार्यक्रम, कवि गोष्ठी, आ विशेष भोजन एहि दिनक प्रमुख अंग अछि।
• ई पर्व मिथिला के सांस्कृतिक पहचान सँ जुड़ल अछि आ विद्या, कला आ संगीत के सम्मान करबाक संदेश दैत अछि।
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