Dawah & iqra
Dawah & iqra
February 7, 2025 at 03:15 AM
*सूरह अल-कहफ जुमा के दिन पढ़ने के फायदे* सूरह अल-कहफ (सूरह 18) को जुमा के दिन पढ़ने के कई फायदे और फज़ीलत हदीसों में बताई गई हैं। कुछ अहम फायदे ...... *1. नूर (रोशनी) का हासिल होना* हज़रत अबू सईद अल-खुदरी (रज़ि.) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: *"जो शख्स जुमा के दिन सूरह अल-कहफ पढ़े, उसके लिए अगले जुमे तक नूर (रौशनी) होगी।"* (सुनन अल-कुबरा 5856, मुस्नद अहमद 10592) *2. दज्जाल के फ़ितने से हिफाज़त* रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: "*जो शख्स सूरह अल-कहफ की शुरू की दस आयतें याद करेगा, वह दज्जाल के फ़ितने से महफूज़ रहेगा।"* (सहीह मुस्लिम 809) *3. अल्लाह की रहमत और बरकत मिलती है* जो भी इस सूरह को जुमा के दिन पढ़ता है, अल्लाह उसकी मग़फ़िरत (बख्शिश) करता है और उसके घर व परिवार पर बरकतें नाज़िल करता है। *4. ईमान की मज़बूती और सब्र की सीख* सूरह अल-कहफ के अंदर कई अहम किस्से हैं, जैसे कि गुफा में सोने वाले युवकों का किस्सा, हज़रत मूसा (अ.) और खिज्र (अ.) की मुलाकात, ज़ुल-क़रनैन की कहानी, जो हमें सब्र, तवक्कुल और ईमान को मज़बूत करने की सीख देती हैं। *5. अख़िरत की याद और दुनियावी फ़रेब से बचाव* यह सूरह हमें याद दिलाती है कि दुनिया की ज़िन्दगी फानी है और हमें आख़िरत की तैयारी करनी चाहिए। इससे इंसान का दिल दुनिया के धोके और गुमराही से बचता है। *👉🏻नतीजा* सूरह अल-कहफ को जुमा के दिन पढ़ने से नूर, रहमत, दज्जाल के फ़ितने से हिफाज़त और बरकत हासिल होती है। इसे हर जुमे को पढ़ने की आदत डालनी चाहिए ताकि अल्लाह की ख़ास रहमत नसीब हो।
👍 1

Comments