
Dawah & iqra
February 9, 2025 at 01:02 AM
सूरह अद-दुहा एक बेहतरीन तसल्ली है उन लोगों के लिए जो उदासी, परेशानी या तन्हाई महसूस करते हैं। जब भी हम किसी मुसीबत में होते हैं या दुआओं का जवाब देर से मिलता है, हम अक्सर सोचते हैं कि शायद अल्लाह ने हमें छोड़ दिया है। लेकिन ये सूरह ये याद दिलाती है कि *"वद-दुहा, वल-लैली इज़ा सज़ा"* – सुबह की रोशनी और रात की शांति, दोनों अल्लाह की कुदरत का हिस्सा हैं। जैसे रात के बाद सुबह आती है, वैसे ही हर दुख के बाद सुकून का वक्त आता है।
"*मा वद्दअक रब्बुका वमा क़ला"* – तुम्हारे रब ने तुम्हें न छोड़ा है, न ही तुमसे नफरत की है। ये आयत सिर्फ़ नबी ﷺ के लिए नहीं, बल्कि हर मुसलमान के लिए एक उम्मीद है कि चाहे वक्त कितना भी मुश्किल हो, अल्लाह हमेशा हमारे साथ है।
और सबसे खूबसूरत बात ये है कि "*वलल-आखिरतु खैरुल लका मिनल ऊला"* – आखिरत दुनिया से बेहतर है। ये हमें ये समझाता है कि दुनिया के ग़म और मुश्किलें सिर्फ़ चंद पलों के लिए हैं, असल इनाम अल्लाह ने आखिरत में रखा है।
*"अगर हम इस सूरह को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बना लें, तो ओवरथिंकिंग, डिप्रेशन और बेचैनी का इलाज खुद-ब-खुद हो सकता है। बस भरोसा रखो, अल्लाह हर वक़्त हमारे साथ है!*"