Dawah & iqra
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February 9, 2025 at 04:01 AM
*एक मुसलमान की जिम्मेदारी* अल्लाह ने मुसलमानों को इंसानियत के लिए रहमत और भलाई का ज़रिया बनाया है। क़ुरआन में अल्लाह फ़रमाता है: "*तुम सबसे बेहतरीन उम्मत हो, जो लोगों (इंसानियत) के लिए निकाली गई है। तुम भलाई का हुक्म देते हो और बुराई से रोकते हो, और अल्लाह पर ईमान रखते हो।"* (सूरह आल-इमरान 3:110) इस आयत में अल्लाह मुसलमानों को याद दिलाता है कि वे सिर्फ़ अपनी भलाई के लिए नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत के लिए बेहतरीन उम्मत बनाए गए हैं। उनका फ़र्ज़ है कि वे सच्चाई, इंसाफ़ और रहमदिली का पैग़ाम फैलाएँ और ज़ुल्म व बुराई से लोगों को बचाएँ। इसी तरह, अल्लाह ने हज़रत मुहम्मद (ﷺ) को भी पूरी दुनिया के लिए रहमत बताया: "*और (ऐ नबी) हम ने तुम्हें तमाम जहानों के लिए रहमत बना कर भेजा है।"* (सूरह अल-अंबिया 21:107) इसका मतलब यह है कि इस्लाम का संदेश सिर्फ़ मुसलमानों के लिए नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत के लिए है। मुसलमानों की ज़िम्मेदारी है कि वे अपने आचरण और नेक अमलों से दुनिया में भलाई फैलाएँ और दूसरों के लिए एक मिसाल बनें।

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