
Dawah & iqra
February 12, 2025 at 05:25 PM
हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) और जिन्न की कहानी इस्लामी इतिहास में कई जगहों पर मिलती है। इनमें से एक मशहूर वाक़िआ वो है जब रसूल अल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने जिन्नों को इस्लाम की दावत दी थी।
जिन्नों का इस्लाम क़ुबूल करना
एक बार हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ताइफ़ से लौट रहे थे और मक्का की तरफ़ बढ़ रहे थे। उस वक़्त अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने एक जगह आराम करने के लिए क़याम किया। उसी दौरान आप रात के वक़्त नमाज़ पढ़ रहे थे और क़ुरआन की तिलावत कर रहे थे।
उस समय कुछ जिन्न, जो नसीबीन (अरब के एक क़बीले) से थे, वहाँ से गुज़र रहे थे। जब उन्होंने रसूल अल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की तिलावत सुनी, तो वे बहुत मुतास्सिर हुए और चुपचाप बैठकर सुनते रहे।
जब नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने तिलावत पूरी की, तो जिन्नों ने आपस में कहा:
"यह तो वही हक़ीक़ी पैग़ाम है जो हज़रत मूसा (अलैहिस्सलाम) पर उतारा गया था। चलो, अपनी क़ौम में जाकर इस पैग़ाम को बताते हैं।"
इसके बाद वे जिन्न अपनी क़ौम में गए और उन्हें इस्लाम की दावत दी। इसी वाक़िये का ज़िक्र क़ुरआन के सूरह जिन्न (72:1-2) में मिलता है:
*"कहो (ऐ मुहम्मद), मेरी तरफ़ वह जिन्नों की एक जमाअत मुतवज्जा हुई तो उन्होंने (क़ुरआन) सुना और कहा, 'हमने एक अजूबा क़ुरआन सुना, जो सीधा रास्ता दिखाता है, इसलिए हम उस पर ईमान ले आए हैं और अब हम अपने रब के साथ किसी को शरीक न करेंगे।'"*
👉🏻 *एक जिन्न की शरारत और नबी का जवाब*
दूसरा एक मशहूर वाक़िआ यह है कि एक बार एक जिन्न मदीना में रात के वक़्त एक सहाबी को परेशान कर रहा था। उसने सहाबी के घर में आग लगाने की कोशिश की। सहाबी ने रसूल अल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से शिकायत की।
नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने सहाबी से फ़रमाया:
"*अगर वह जिन्न दोबारा आए, तो उसे यह आयत पढ़कर पकड़ लो - आयतुल-कुर्सी (सूरह बक़रा 2:255)।"*
जब वह जिन्न फिर आया, तो सहाबी ने आयतुल-कुर्सी पढ़ी। जिन्न बेबस हो गया और कहने लगा:
"अगर तुम मुझे छोड़ दोगे, तो मैं तुम्हें एक राज़ बताऊँगा—अगर कोई इंसान रात को सोने से पहले आयतुल-कुर्सी पढ़ ले, तो अल्लाह की हिफ़ाज़त उसके साथ होगी और कोई शैतान उसे नुकसान नहीं पहुँचा सकता।"
सहाबी ने सुबह नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से यह बात बताई। आपने फ़रमाया:
"जिन्न ने सच्ची बात कही, हालाँकि वह खुद झूठा है।"
सीख
क़ुरआन की तिलावत जिन्नों को भी हिदायत दे सकती है।
आयतुल-कुर्सी एक बहुत ताक़तवर आयत है जो जिन्नों और शैतानों से हिफ़ाज़त करती है।
अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की बातें हमेशा सच्ची होती हैं और हमें उन पर अमल करना चाहिए।