Dawah & iqra
February 12, 2025 at 05:25 PM
*हज़रत उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) और जिन्न का क़िस्सा*
हज़रत उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) से एक मशहूर वाक़िआ रिवायत किया जाता है, जिसमें एक जिन्न बूढ़े आदमी के रूप में आया और एक अहम राज़ बताया।
क़िस्सा
एक बार हज़रत उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) मदीना की गलियों में गश्त कर रहे थे। अचानक उन्होंने देखा कि एक बुज़ुर्ग शख्स एक कोने में खड़ा है। उसकी शक्ल-सूरत आम इंसानों से कुछ अलग लग रही थी। हज़रत उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) ने उससे पूछा,
"तुम कौन हो?"
उस बुज़ुर्ग ने धीरे से जवाब दिया,
"मैं एक जिन्न हूँ।"
हज़रत उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) यह सुनकर ज़रा भी नहीं घबराए और सख़्ती से बोले,
"तुम यहाँ क्यों आए हो?"
उस जिन्न ने कहा,
"मैं तुम्हें एक हकीकत बताने आया हूँ। हम जिन्नों की एक जमाअत थी जो इस्लाम और नबी मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के बारे में जानना चाहती थी। हम छुपकर उनकी बातें सुनते थे, लेकिन जब सूरह रहमान उतरी और उसमें आया:
'ऐ जिन्न और इंसानों के गिरोह! अगर तुम आसमानों और ज़मीन की सरहदों से बाहर निकल सकते हो तो निकल जाओ, मगर तुम निकल नहीं सकते सिवाय एक बड़ी ताक़त के साथ।' (सूरह रहमान 55:33)
यह सुनकर हम डर गए और समझ गए कि अब हमें नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की बातों पर ध्यान देना चाहिए। कई जिन्न इस्लाम ले आए।"*
हज़रत उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) ने पूछा,
"अगर तुम इस्लाम ला चुके हो, तो इंसानों के मामलों में दख़लअंदाज़ी क्यों करते हो?"
जिन्न ने जवाब दिया,
"हममें से बहुत से जिन्न बदमाश हैं, वे शैतान के रास्ते पर चलते हैं। लेकिन जो जिन्न मुसलमान हो गए हैं, वे इंसानों को नुकसान नहीं पहुँचाते। हम भी तुम्हारी तरह नमाज़ पढ़ते हैं, रोज़ा रखते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं।"
हज़रत उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) यह सुनकर मुस्कुराए और कहा,
"अगर तुम सच्चे हो, तो हमेशा नेकी के रास्ते पर रहो और लोगों को नुक़सान पहुँचाने से बचो।"
सीख
इस्लाम सिर्फ़ इंसानों के लिए नहीं, बल्कि जिन्नों के लिए भी हिदायत है।
कुछ जिन्न मुसलमान होते हैं और वे भी इबादत करते हैं।
अल्लाह की किताब (क़ुरआन) सुनकर बहुत से जिन्नों ने इस्लाम क़ुबूल किया।
हज़रत उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) की बहादुरी और हिकमत हमें सिखाती है कि हमें अल्लाह पर भरोसा रखना चाहिए और डरने के बजाय हिकमत से काम लेना चाहिए।