
GitaVerZ
February 1, 2025 at 02:02 AM
📖 *भगवद गीता: *अध्याय 3, श्लोक 5* 📖
🔹 🔹
🕉️ *न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत् ।*
*कार्यते ह्यवशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणैः ॥5॥*
📜 *शब्दार्थ:*
➤ *न* - नहीं
➤ *हि* - निश्चय ही
➤ *कश्चित्* - कोई भी
➤ *क्षणम्* - एक क्षण भी
➤ *अपि* - भी
➤ *जातु* - सदैव
➤ *तिष्ठति* - रह सकता है
➤ *अकर्म-कृत* - बिना कर्म किए
➤ *कार्यते* - बाध्य होकर किया जाता है
➤ *अवशः* - विवश होकर
➤ *कर्म* - कर्म
➤ *सर्वः* - सभी
➤ *प्रकृति-जैः* - प्रकृति से उत्पन्न
➤ *गुणैः* - गुणों के द्वारा
📖 *श्लोक का सरल अर्थ:*
_कोई भी व्यक्ति एक क्षण के लिए भी बिना कर्म किए नहीं रह सकता। वास्तव में, सभी प्राणी प्रकृति के तीन गुणों (सत्व, रजस, तमस) से प्रेरित होकर कर्म करने के लिए बाध्य होते हैं।
💡 *भावार्थ:*
➤ श्रीकृष्ण हमें बताते हैं कि _"कर्म से बचना असंभव है।"_
➤ चाहे *कोई व्यक्ति कुछ न करे, तब भी वह 'कुछ न करना' एक कर्म ही है!*
➤ हम प्रकृति के गुणों से संचालित होते हैं और इसी कारण हमें कर्म करना ही पड़ता है।
🚀 *🔹 कर्म से बचाव संभव नहीं! 🔹**
✔️ *क्या हम बिना साँस लिए रह सकते हैं?* ❌
✔️ *क्या हम बिना सोचे कुछ पल भी रह सकते हैं?* ❌
✔️ *क्या हम कुछ भी न करने का निर्णय लेकर भी कोई कर्म नहीं कर रहे होते?* ❌
➡️ *इसलिए श्रीकृष्ण अर्जुन को यह समझा रहे हैं कि युद्धभूमि छोड़ना भी एक कर्म ही होगा!*
🌱 *🔹 प्रकृति हमें कर्म करने को बाध्य करती है! 🔹**
✅ *'प्रकृति' का अर्थ ही है - जो कार्यरत है!*
✅ *हमारे शरीर में भी लगातार कार्य होते रहते हैं - दिल धड़कता है, साँस चलती है, रक्त प्रवाहित होता है!*
✅ *यह संसार गतिशील है और हम उसमें निष्क्रिय नहीं रह सकते!*
🧘♂️ *🔹 क्या संन्यासी कर्म नहीं करते? 🔹**
➡️ कुछ लोग सोचते हैं कि *संन्यास लेने से कर्म समाप्त हो जाते हैं*, लेकिन यह सच नहीं है!
➡️ महापुरुषों और संन्यासियों का कार्य और भी *गंभीर* और *महत्वपूर्ण* हो जाता है!
➡️ वे संसार को अध्यात्म और ज्ञान का प्रकाश देने में लग जाते हैं।
⚡ *🔹 निष्काम कर्म का रहस्य 🔹**
✅ *कर्म से भागना हल नहीं है,* बल्कि *कर्म को सही तरीके से करना* ही असली समाधान है!
✅ *जो व्यक्ति निष्काम भाव से (फल की चिंता किए बिना) कर्म करता है, वही सच्चा योगी है!*
✅ *कर्मयोग का यही संदेश है:*
➤ *कर्म करो, लेकिन आसक्ति मत रखो!*
➤ *कर्तव्य निभाओ, लेकिन अभिमान मत रखो!*
🛤️ *🔹 जीवन में इस श्लोक का महत्व 🔹**
✔️ *हर परिस्थिति में कर्म आवश्यक है!*
✔️ *कर्म से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे सही दिशा में लगाना चाहिए!*
✔️ *सफलता का असली रहस्य यही है कि कर्म करें, लेकिन फल की चिंता न करें!*
🌟 *🔹 आज से इस श्लोक को जीवन में अपनाएँ!*
📢 *शेयर करें और अपने मित्रों तक गीता का संदेश पहुँचाएँ!* 🙏
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