GitaVerZ
GitaVerZ
February 3, 2025 at 04:00 AM
🌊 *जीवन एक नदी है, रेलमार्ग नहीं!* 🌊 *कृष्ण* अर्जुन को समझाते हैं— *नदी कभी तैयार रास्तों पर नहीं बहती, वह अपना मार्ग स्वयं बनाती है।** जीवन भी ऐसा ही है, किसी और का अनुसरण मात्र आत्म-विलय कर सकता है। _*स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः!*_ 🚩 *अर्जुन का संघर्ष* *हिंसा-अहिंसा* नहीं, बल्कि *संलग्नता* है। यदि वह अनासक्त होते, तो यह द्वंद्व ही न उठता। 🛕 *कृष्ण मूर्तिकार हैं*—वे अर्जुन के व्यक्तित्व से अनावश्यक अंश काटते हैं, **नवीन निर्माण नहीं करते!** ✨ *कृष्ण सीमाहीन हैं—विस्तृत, विरोधों के सुंदर समन्वय!* उन्हें *सिद्धांतों से मत तौलो*, उन्हें **सम्पूर्णता में देखो!**
❤️ 🙏 11

Comments