GitaVerZ
February 5, 2025 at 12:01 AM
*🌿 भगवद गीता: अध्याय 3, श्लोक 9 🌿*
🔹 *श्लोक:*
📖 *यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र लोकोऽयं कर्मबन्धनः।*
📖 *तदर्थं कर्म कौन्तेय मुक्तसङ्गः समाचर॥*
🔹 *शब्दार्थ:*
👉 *यज्ञ-अर्थात* – यज्ञ के निमित्त किए जाने वाले कर्म
👉 *कर्मणः* – कर्म की अपेक्षा
👉 *अन्यत्र* – अन्यथा
👉 *लोकः* – यह भौतिक संसार
👉 *अयम्* – यह
👉 *कर्मबन्धनः* – कर्मों का बंधन
👉 *तत्-अर्थम्* – उसके लिए
👉 *कर्म* – कार्य
👉 *कौन्तेय* – कुन्ति पुत्र, अर्जुन
👉 *मुक्तसङ्गः* – आसक्ति रहित
👉 *समाचर* – ध्यान से कार्य करना
🔹 *अनुवाद:*
⚡ *हे अर्जुन!* यह संसार कर्म के बंधन में बंधा हुआ है। यदि कर्म केवल स्वार्थ के लिए किए जाएं तो वे बंधनकारी होते हैं, परंतु यदि वे *यज्ञ* (ईश्वर को समर्पित सेवा) के रूप में किए जाएं, तो वे मुक्त करने वाले बन जाते हैं। इसलिए *फल की आसक्ति* को त्याग कर *आसक्ति रहित* होकर कर्म करो।
📜 *कर्मयोग की रहस्यपूर्ण सीख:*
➖ *क्या हर कर्म बंधन में डालता है?* ❌ नहीं!
➖ *क्या निष्काम कर्म हमें मुक्त कर सकता है?* ✅ हां!
💡 *🔑 कर्म और यज्ञ का गूढ़ रहस्य!*
🛕 श्रीकृष्ण यहां कर्मयोग की महत्ता को स्पष्ट कर रहे हैं। *"यज्ञार्थात् कर्मणोऽन्यत्र"* – यानी *कर्म केवल ईश्वर-अर्पण के लिए होने चाहिए*, अन्यथा वे हमें इस संसार के जाल में फंसा देते हैं।
🔥 *यज्ञ क्या है?*
यज्ञ केवल हवन या अग्नि में आहुति देना नहीं, बल्कि *सर्वोत्तम कर्मों को समर्पण भाव से करना* ही सच्चा यज्ञ है। जब हम अपने कर्मों को परमात्मा की सेवा में अर्पित करते हैं और फल की चिंता छोड़ते हैं, तब वही कर्म *मोक्ष* की ओर ले जाते हैं।
💎 *कर्म करने के दो मार्ग:*
1️⃣ *स्वार्थी कर्म* ➡ कर्म का बंधन (संस्कार, पुनर्जन्म, मोह)
2️⃣ *निष्काम कर्म* ➡ मुक्ति (शुद्धता, आत्मज्ञान, शांति)
🔹 *🌱 निष्काम कर्म का प्रभाव:*
✅ *कर्म तो करना ही पड़ेगा*, पर यदि हम इसे सेवा और यज्ञ भाव से करें, तो यह बंधन नहीं बनता।
✅ *स्वार्थ और फल की आसक्ति छोड़ने से कर्मयोग की सिद्धि होती है।*
✅ *यज्ञभाव से किया गया कर्म आत्मा को शुद्ध करता है और उच्च आध्यात्मिक अवस्था तक ले जाता है।*
🎯 *कैसे अपनाएं कर्मयोग?*
✔ अपने कर्तव्यों को *ईश्वर को अर्पित करें*।
✔ *फल की अपेक्षा छोड़कर* कर्म करें।
✔ हर कार्य को *समर्पण और सेवा* की भावना से करें।
✔ *स्वार्थी इच्छाओं से मुक्त होकर* कर्म करें।
✔ अपने कर्मों को *समाज और विश्व कल्याण* के लिए लगाएं।
🛑 *गलतफहमी से बचें!*
❌ यह मत सोचिए कि हर कर्म बंधनकारी है!
✔ केवल *स्वार्थपूर्ण कर्म* ही हमें संसार में बांधते हैं।
✔ *निष्काम कर्म (त्यागपूर्वक किए गए कर्म)* हमें मोक्ष की ओर ले जाते हैं।
💬 *भगवान श्रीकृष्ण का संदेश:*
*"हे अर्जुन! अपने कर्मों को केवल ईश्वर और लोकहित के लिए करो। तभी तुम्हें कर्म के बंधनों से मुक्ति मिलेगी।"*
✨ *जीवन में इस श्लोक को कैसे उतारें?*
💡 *"जो भी करो, समर्पण भाव से करो!"*
💡 *"अपने हर कर्म को पूजा बना दो!"*
💡 *"कर्मफल की चिंता मत करो, बस कर्तव्य निभाओ!"*
⚡ *आज का संकल्प:*
🙏 मैं अपने सभी कर्मों को *निष्काम भाव से* करूंगा।
🙏 मैं *फल की आसक्ति* छोड़ दूंगा और *ईश्वर को समर्पित* होकर कर्म करूंगा।
🙏 मैं अपने कर्मों को *समाज और मानवता की भलाई* में लगाऊंगा।
🌿 *श्रीकृष्ण के इस दिव्य ज्ञान को अपने जीवन में अपनाएं और कर्मयोगी बनें!* 🌿
🔔 *कर्म से जुड़ी गीता की और भी गहरी सीख जानने के लिए "GitaVerZ" चैनल से जुड़ें!* 🙌📖
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