GitaVerZ
February 6, 2025 at 12:16 AM
🌟 *भगवद गीता : अध्याय 3, श्लोक 10* 🌟
❝ **सहयज्ञाः प्रजाः सृष्ट्वा पुरोवाच प्रजापतिः।**
**अनेन प्रसविष्यध्वमेष वोऽस्त्विष्टकामधुक्॥** ❞
🔍 *शब्दार्थ:*
➡ **सह** - के साथ
➡ **यज्ञाः** - यज्ञ
➡ **प्रजाः** - मानव जाति
➡ **सृष्ट्वा** - सृजन करना
➡ **पुरा** - आरम्भ में
➡ **उवाच** - कहा
➡ **प्रजापतिः** - ब्रह्मा
➡ **अनेन** - इससे
➡ **प्रसविष्यध्वम्** - अधिक समृद्ध होना
➡ **एषः** - इन
➡ **वः** - तुम्हारा
➡ **अस्तु** - होगा
➡ **इष्ट-काम-धुक** - सभी इच्छित वस्तुओं को देने वाला
🔹 **अनुवाद:**
👉 *ब्रह्मा ने सृष्टि के प्रारंभ में मानव जाति को उनके कर्तव्यों सहित उत्पन्न किया और कहा—इन यज्ञों का पालन करने से तुम्हें समृद्धि प्राप्त होगी और सभी वांछित वस्तुएँ मिलेंगी।*
🔷 **यज्ञ का गूढ़ रहस्य** 🔷
🔥 *यज्ञ क्या है?* 🔥
यज्ञ केवल अग्नि में आहुति देने तक सीमित नहीं है। यह एक **जीवन शैली** है, जहाँ हम *स्वार्थ रहित* होकर कार्य करते हैं और समाज तथा प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं।
🌱 **यज्ञ का गूढ़ अर्थ:**
✅ *स्वार्थ त्याग कर दूसरों की भलाई के लिए कार्य करना।*
✅ *प्रकृति, समाज और परमात्मा के साथ समरसता बनाए रखना।*
✅ *अपना कर्तव्य निस्वार्थ भाव से निभाना।*
✅ *परस्पर सहयोग और सामूहिक उन्नति को प्राथमिकता देना।*
🕉 **यज्ञ का आध्यात्मिक महत्व** 🕉
🔹 *‘स्वाहा’** - यह शब्द इंगित करता है कि हम जो कुछ भी देते हैं, वह परमात्मा को समर्पित है।
🔹 *‘इदं न मम’** - यह भाव बताता है कि यह सब *मेरा नहीं*, बल्कि सबका है।
🔹 यज्ञ करने से **मानसिक शुद्धि, सामाजिक समरसता और प्राकृतिक संतुलन** बना रहता है।
💡 *समाज में यज्ञ का प्रभाव* 💡
👥 **सामूहिकता और सहयोग:** यज्ञ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामूहिक प्रयास है। जब पूरा समाज इसमें सम्मिलित होता है, तो यह *समृद्धि, शांति और संतुलन* को जन्म देता है।
🌍 **प्राकृतिक संतुलन:** यज्ञ प्रकृति के पंचतत्वों (भूमि, जल, अग्नि, वायु और आकाश) को शुद्ध और संतुलित रखता है।
🎯 **कर्तव्यबोध:** यह हमें यह सिखाता है कि हर कार्य *त्याग और सेवा* की भावना से किया जाना चाहिए।
🔮 **पितामह प्रजापति का संदेश** 🔮
📝 **पंजापति का संदेश क्या है?**
👉 हमारी समृद्धि और उन्नति यज्ञ के सिद्धांत पर निर्भर करती है।
👉 हम सभी *आपस में जुड़े हुए* हैं और हमें एक-दूसरे के सहयोग से आगे बढ़ना होगा।
👉 जो कुछ हमें मिलता है, वह अकेले हमारा नहीं है—इसे *साझा करना* ही सच्चा यज्ञ है।
👉 *कर्तव्य पालन ही असली यज्ञ है!*
✨ **ग्रहण करें गीता का दिव्य ज्ञान!** ✨
🙏 *यदि हम यज्ञभाव से जीवन जिएं तो हमारी इच्छाएँ भी पूर्ण होंगी और समाज भी उन्नति करेगा।* 🌱🔥
🙏
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