
Pathey (पाथेय)
February 21, 2025 at 02:41 PM
सोने से पहले पढ लेना!
इस्लामी भाईचारा अर्थात भाईहत्याचारा
इस बात को सभी लोग मानते हैं की जिस दिन से केंद्र में मोदी सरकार आयी है ,उसी दिन से मुसलमान योजनाबद्ध होकर हिन्दुओं को परेशांन करने और देश में अशांति फ़ैलाने के नए नए षड्यंत्र कर रहे हैं कभी भूमि पर कब्ज़ा करते हैं कभी हिन्दू उत्सवों पर पत्थर फेकते हैं कभी ट्रेन को गिराने के लिए पटरियों पर अवरद्ध पैदा कर रहे हैं और जब मुसलमानों की इन करतूतों को देख कर हिन्दू नेता और संघ नेता मोहन भागवत हिन्दुओं को एकजुट होकर देश और धर्म की रक्षा करने का आह्वान करते हैं तो ओवैसी जैसे मुस्लिम नेता कहते है की हिन्दू नेता आपसी भाईचारा मिटाना चाहते हैं और नफ़रत फैला रहे हैं जबकि मुसलमान गंगाजमनी तहजीब और आपसी भाईचारा चाहते हैं ,दुर्भाग्य से बड़े बड़े विद्वान् भी मुसलमानों के भाईचारा का मतलब हिन्दू मुस्लिम एकता और आपसी मित्रता समझ लेते हैं ,जबकि इसका असली अर्थ भाई के द्वारा भाई की या भाइयों की हत्या कर देना है , इसका प्रारम्भ तो उसी समय ही हो गया था जब अल्लाह ने सृष्टि के पहले मनुष्य यानि आदम को बनाया था
1-इतिहास का पहला भाईचारा
बाइबिल और कुरान के अनुसार अल्लाह ने विश्व के पहले मनुष्य आदम को मिटटी से बनाया था ,फिर आदम के सीने से एक पसली( Rib ) निकाल एक स्त्री हव्वा को बना दिया था और इनके मिलन से दो पुत्र पैदा हुए थे जिनका नाम बाइबिल में केन (Can ) और अबेल(Abel ) बताया गया है जिसे कुरान में हाबिल ( هابيل ) और कबिल ( قابيل ) बताया गया है इसके कुछ समय बाद आदम की एक पुत्री पैदा हुई और आदम के दौनों लडके जवान हुए अपनी ही बहिन से शादी करने के लिए लड़ने लगे और यह झगड़ा इतना बढ़ी कि गुस्से में आकर केन ने अपने ही सगे भाई अबिल की हत्या कर डाली (Genesis 4:3).
2-मुहम्मदी भाईचारा
मुहम्मद के पहले अरब में कई कबीले थे जो किसी न किसी कारण से आपस में लड़ते रहते थे ,और मुसलमान हो जाने पर भी उनकी वही आदत बनी रही तब मुहम्मद ने एक आयत नाजिल करके कहा
"सभी ईमान वाले भाई हैं इसलिए उनके बीच सुलह कर दो "
"إِنَّمَا الْمُؤْمِنُونَ إِخْوَةٌ فَأَصْلِحُوا بَيْنَ أَخَوَيْكُمْ "
सूरा हुजुरात 49 :10
All believers are but brethren. Hence, make peace between your two brethren,
मुहम्मद ने सोचा कि यदि सभी कबीले के लोग भाई बन जायेंगे तो सभी भाई मिल कर जिहाद करके पूरी दुनिया पर क़ज़ा कर लेंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका मुहम्मद की मौत के तुरंत बाद ही मुसलमानों ने ही मुहम्मद के खलीफाओं और रिश्तेदारों को क़त्ल कर दिया ,और मुहमदी भाईचारे की पोल खुल गयी इसका कारण यह है की मुहम्मद ने सिर्फ ईमान वालों को भाई भाई बता दिया था और हरेक व्यक्ति खुद को ईमान वाला और दूसरे को काफिर बतान लगा , अगर मुहम्मद विश्व के सभी मनुष्यों को भाई बता देता तो मुहामद के साथियों और घर के लोगों की हत्याएं नहीं होतीं इसी लिए गीता में कहा है
"वसुधैव कुटम्बकम "
तब से भाईचारा कई मुस्लिम देशों में फ़ैल गया जिसका इतिहास काफी लम्बा है जिसका लिखना असंभव है लेकिन इसका पूरा प्रमाण है की भारत में भाईचारा ओवैसी के पूर्वज और आदर्श पुरष मुग़ल लेकर थे और अकबर से लेकर औरगजेब तक का समय भाईचारा का स्वर्णिम काल माना जाता है ,क्योंकि मुग़ल बादशाहों ने भाईचारा का रिकार्ड तोड़ दिया था
1 -अकबर का भाईचारा
बहुत कम लोग जानते ह हैं की अकबर का एक मुंहबोला भाई अतगा खान था जिसे शमशुद्दीन भी कहा जाता है ,अतागा खान की पारिवारिक पृष्ठभूमि गजनी के एक किसान परिवार से जुड़ी हुई थी. उसके पिता मीर यार मुहम्मद एक सामान्य किसान थे जो बाद में अकबर के चाचा यानी कामरान मिर्जा की सेना में सिपाही बन गए थे. पिता के कदमों पर चलते हुए बाद में अतागा खान यानी शम्सुद्दीन भी मुगल परिवार की सेवा से जुड़ गया. कहते हैं कि एक बार अतागा खान ने हुंमायू को डूबने से बचाया था. इसी के बाद वह हुंमायू का प्रिय हो गया था. हुंमायू ने उसे अपनी व्यक्तिगत सेवा में रखा और उसकी पत्नी जीजी को अकबर की अंगा यानी मुंहबोली मां बना दिया था. साथ ही शम्सुद्दीन को अकबर का मुंहबोला पिता यानी 'अतागा' बना दिया गया. सम्मानस्वरूप उसे 'खान' सरनेम भी दिया गया. अतागा खान का बेटा यानी अजीज भी अकबर का मुंहबोला भाई था
अतागा खान को वकील बनाए जाने के बाद महम अंगा और अधम खान का गुस्से सातवें आसमान पर पहुंच गया. अधम खान ने अतागा खान की हत्या कर डाली. जब अकबर को इसका पता चला तो उसने अधम को बेहद क्रूर सजा दी और महल से सिर के बल दो बार जमीन पर फेंकवा दिया. बाद में अकबर के शासन में यह सजा अन्य लोगों को भी दी गई थी. . अकबर ने राजसी परिवार से ताल्लुक रखने के कारण महम अंगा और अधम खान का मकबरा दिल्ली के महरौली में बनवाया था.
2-शाहजहां का भाईचारा
जहांगीर का पुत्र शाहजहाँ जब गद्दी पर बैठा तो उसने कई लोगों को मौत की सजाएँ दी थीं यहाँ तक 23 जनवरी 1628 को अपने भाई शहर यार और उसके बेटे दावर और गुस्तास्प को फांसी की सजा दे दी इसके पहले शाह जहाँ ने अपने भाई खुसरू और उसके बेटे दानियाल और तेहमरुस को मरवा दिया था
3-औरगजेब का भाईचारा
मुग़ल बादशाह शाह जहाँ के चार पुत्र थे
1 द्वारा शिकोह -Dara Shikoh-دارا شکوہ
1 -2-शाह शुजा -Shah Shuja-شاه شجاع
3 -औरंगजेब -Aurangzeb
4 -मुराद बख्श -Murad Bakhsh-مراد بخش
शाह जहाँ अपने बड़े पुत्र दारा शिकोह को गद्दी सौंपना चाहता था क्योंकि उसे हिन्दू और मुस्लिम चाहते थे लेकिन औरंगजेब ने चालाकी से सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया कट्टर मुस्लिमों ने औरगजेब का साथ दिया और जब सन 1658 में औरंगजेब गद्दी पर बैठा तो सबसे पहले बड़े भाई दारा शिकोह को कैद करके उसकी आँखें फोड़ीं और हाथी पर बिठा कर जलूस निकाला फिर गर्दन काट कर उसका सर अपने बाप के पास भिजवा दिया फिर बाद में अपने दौनों भाइयों को भी मरवा दिया
इन प्रमाणों से सिद्ध होता है कि मुस्लिम नेता जिस भाईचारा की वकालत करते रहते वह एक शब्द है जिसका प्रयोग हिन्दुओं धोका देना है जैसे पंडित नेहरू और महात्मा गाँधी .न तो नेहरू पंडित था और न गाँधी महात्मा था इसलिए हम भाईचारा के वकीलों से पूछते है अगर मुसलमान सचमुच हिन्दुओं के साथ भाई जैसा व्यवहार करना चाहते थे तो इस जरा सी बात को समझाने के लिए इतनी बड़ी बड़ी फौजें तलवारें लेकर क्यों आये थे ?आज के सभी मुसलमान भाई के हत्यारे कबिलकी संतानें हैं ,और औरंगजेब के भाईचारा को अपना आदर्श बताया करते हैं ,जब यही हत्यारे हमें भाईचारे का उपदेश देते हैं हम इनकी बातों से भरोसा कैसे कर सकते हैं ?हम तो यही कहना चाहेंगे कि हमें तुम जैसे भाई हत्यारों से भाई चारा सीखने की जरूरत नहीं है क्योंकि हमारे सामने भगवान राम और भरत के भ्रातृप्रेम का आदर्श मौजूद है
भाड़ में जाये कपटी भाईचारा
B.N.Sharma
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