Qadri Samar Foundation
February 19, 2025 at 03:31 AM
*••──────•◦﷽◦•──────••*
*صَلَّى اللَّهُ تَعَالَى عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّم*
*Pᴏsᴛ = 02/02*
*💕 दिलचस्प मा'लूमात❓*
*{ जुमुआ }*
*सुवाल : -* क्या खामोशी के इलावा खुतबा सुनने के कुछ और भी आदाब हैं ?
*जवाब : -* खुत्बे के वक्त सिर्फ जुबान से खामोशी काफी नहीं बल्कि सुकून व इत्मीनान से बैठना भी ज़रूरी है, कंकर पथ्थरों से खेलना भी ममनूअ है। उलमा फरमाते हैं कि खुत्वे के वक्त दामन या पंखे से हवा करना भी मन्अ है अगर्चे गर्मी हो, इस वक्त हमा तन खुत्बे की तरफ़ मुतवज्जेह होना ज़रूरी है।¹
*सुवाल : -* पहला खुत्बा हाथ बांध कर और दूसरा जानूओं पर हाथ रख कर सुनने का क्या अज्र है ?
*जवाब : -* बुजुर्गाने दीन फ़रमाते हैं कि दो जानू बैठ कर खुत्बा सुने, पहले खुत्बे में हाथ बांधे और दूसरे में जानूओं पर हाथ रखे तो اِنْ شَآءَالله عَزَّ وَجَلَّ दो रक्अत का सवाब मिलेगा।²
*सुवाल : -* जुमुआ के दिन मस्जिद आने वाले किन अफराद का नाम फ़िरिश्ते नहीं लिखते ?
*जवाब : -* जब जुमुआ का दिन आता है फ़िरिश्ते मस्जिद के दरवाजे पर खड़े हो जाते हैं और जल्दी आने वालों का नाम लिखते हैं। फिर जब इमाम खुत्बे के लिये मिम्बर पर आता है तो येह फ़िरिश्ते अपने दफ़्तर लपेट कर इन्सानों के साथ खुतबा सुनने लगते हैं, अब जो उस वक़्त आएगा न उस का नाम उन के दफ्तर में लिखा जाएगा न उसे जल्द आने का सवाब मिलेगा।³
*सुवाल : -* हुजूर नबिय्ये करीम ﷺ ने कितने जुमुआ अदा फरमाए ?
*जवाब : -* हुजूर नबिय्ये अकरम ﷺ ने तकरीबन पांच सौ जुमुए पढ़े हैं क्यूंकि जुमुआ बा'दे हिजरत शुरू हुवा जिस के बा'द आप की ज़ाहिरी ज़िन्दगी मुबारक दस साल रही, इस अर्से में जुमुए इतने ही होते हैं।⁴
*सुवाल : -* वोह कौन सी नमाज़ है जिसे अदा करना फ़र्ज़े ऐन है मगर उस की कज़ा पढ़ना हराम है ?
*जवाब : -* वोह नमाज़े जुमुआ है कि जिस का पढ़ना फ़र्ज़े ऐन है लेकिन अगर वोह छूट जाए तो उस की क़ज़ा पढ़ना हराम है बल्कि उस की क़ज़ा की जगह वोह जोहर पढ़ेगा।¹
*सुवाल : -* क्या सुस्ती के सबब जुमुआ में देर से पहुंचने वाले का जुमुआ हो जाएगा ?
*जवाब : -* जो जुमुआ में सुस्ती से आए और देर में पहुंचे अगचें उस का जुमुआ तो हो जाएगा मगर वोह सवाब न मिलेगा जो जल्दी पहुंचने वाले को मिलता है।²
*सुवाल : -* जुमुए के लिये अलग जोड़ा रखने का क्या हुक्म है?
*जवाब : -* मुस्तहब है कि जुमुआ का जोड़ा अलग रखे जो ब वक़्ते नमाज़ पहन लिया करे और बा'द में उतार दिया करे । इमाम जैनुल आबिदीन तो नमाज़े पंजगाना के लिये अलग जोड़ा रखते थे।³
*📚 दिलचस्प मा'लूमात, (सुवालन जवाबन) हिस्सा-1. हिंदी सफा 81 ता 83 )*
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
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