Sanatan Dharma 🚩 (धर्म, संस्कृति और आध्यात्म)
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March 1, 2025 at 11:49 AM
. "प्रत्येक व्यक्ति कर्म करने में स्वतंत्र है। वह अच्छे कर्म भी कर सकता है और बुरे भी। अपनी स्वतंत्रता का उपयोग करते हुए वह अच्छे बुरे कर्म करता भी रहता है।" कोई व्यक्ति अच्छे कर्म अधिक करता है, और कोई बुरे कर्म अधिक करता है। "जो अच्छे कर्म अधिक करता है, वह अच्छा व्यक्ति माना जाता है। जो बुरे कर्म अधिक करता है, वह बुरा व्यक्ति माना जाता है।" ईश्वर सबका रक्षक है। वह अच्छे व्यक्ति को भी और बुरे को भी, सबको सूचना देता है, कि "यह काम बुरा है। इसे मत करो।" ईश्वर की सूचना का रूप यह होता है, कि "बुरे काम करने वाले व्यक्ति को अंदर से भय लगता है।" वह सोचता है कि "मैं यह काम कर तो रहा हूं, पर यह ठीक है नहीं।" "मैं कहीं पकड़ा तो नहीं जाऊंगा? कहीं मुझे डांट तो नहीं पड़ेगी? कहीं जेल तो नहीं हो जाएगी? बदनामी भी हो सकती है।" आदि आदि इस प्रकार से उसको बुरे काम करते समय अपने अंदर भय शंका लज्जा की अनुभूति होती है। यह सूचना उसे ईश्वर की ओर से दी जाती है।" "अब जो व्यक्ति सावधान होता है, वह इस सूचना को सुन लेता है। वह ईश्वर की बात मान लेता है, और बुरे काम करने से रुक जाता है। तब वह समाज और ईश्वर के दंड से भी बच जाता है।" "परंतु जो दुष्ट प्रवृत्ति के लोग होते हैं, वे ईश्वर की इस सूचना पर कोई ध्यान नहीं देते। वे गलती पर गलती करते जाते हैं। धीरे-धीरे उन की आदत बन जाती है। आगे चलकर उन्हें ईश्वर की सूचना सुनाई देनी ही बंद हो जाती है।" "ईश्वर की ओर से तो सूचना दी जाती रहती है, वह कभी सूचना देना बंद नहीं करता। परंतु वे दुष्ट लोग ईश्वर की सूचना सुनना बंद कर देते हैं। इसलिए बाद में उन्हें पता ही नहीं चलता, कि ईश्वर उन्हें आज भी बुरे काम करने से रोक रहा है।" "और जब व्यक्ति सेवा परोपकार दान दया आदि उत्तम कर्म करने की बात सोचता है, तब उसे अंदर से ईश्वर की सूचना इस प्रकार से मिलती है।" "तब उसे अंदर से आनंद की अनुभूति होती है। निर्भयता और उत्साह की अनुभूति होती है। यह भी ईश्वर की ओर से दी गई सूचना है। इसमें ईश्वर का यह संदेश है कि "शाबाश, बहुत अच्छा। यह काम अच्छा है। इसे पूरे उत्साह के साथ करो।" "इस प्रकार से ईश्वर सबका रक्षक होने से सदा सबको सूचनाएं देता रहता है। दयालु ईश्वर की ऐसी सूचनाओं का लाभ लेना चाहिए।" "अतः ईश्वर की सूचना पर ध्यान देवें। बुरे काम करने से बचें। जिससे कि आपको समाज और ईश्वर की ओर से दंड भोगना न पड़े, और दुखी होना न पड़े।" "तथा अच्छे काम करके सदा सुखी रहें।" *🪷 ओम शांति 🪷*
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