IKA
IKA
February 25, 2025 at 04:52 PM
हरि ॐ मैं आशाराम हूं तुम जानते हो .....नही ......ये नहीं था तब भी मैं था...ये नहीं रहेगा तब भी मैं रहूंगा और तुम भी वही हो...ese ese शरीर तो करोदो करोदो तुमको मिले थे लेकिन गुरु की करुणा ने जो दिया वो कोई नहीं दे सकता ........ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ......सद्गुरु जेसा परम हितेषी कोई नहीं संसार में भजन चलाया गया.......अब जाओ जो पीछे खड़े हो वो भोजन के लिए सिटकलो....ताकी भोजन वालो को भी दिक्कत ना हो....सिटकलो सुना नाही....तुम nahi जाते हो चलो मैं ही जाता हूं......सद्गुरु भगवान की जय....तुम्हारे बाप की जय, तुम्हारे दादा की जय, तुम्हारे नाना की जय....जितना याद रहा लिखा..... बाकी उनके दिवानो की आंखियो में दीदार का नशा कुछ ...एसा रहता है शरीर मन सब सुनता भी है....लेकिन उनके ही नशे में गुम हो के रह जाता है ......सुध कहा रहती है खुद की........वो रूह तो अपने खुदा में ही खो जाया ..करती है .... आज के सत्संग का सार 🕉️🙏🏻🙏🏻🕉️
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