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February 21, 2025 at 02:00 PM
♣️ राजस्थान के लोकनृत्य
☆ लोकनृत्य वह कला है, जिसके द्वारा हाव-भाव, अंग संचालन, भाव भंगिमाओं के माध्यम से मनोदशा को व्यक्त किया जाता है । ये आडम्बर हीन नियमों उपनियमों के झंझाल में आबद्ध नही होने के कारण अपने स्वभावगत सुन्दरता के कारण अधिक प्रभावशाली होते है ।
☆ राज्य के प्रमुख लोकनृत्य को चार भागों में विभाजित किया गया है ।
1. जनजातीयों के नृत्य
2. व्यवसायिक लोकनृत्य
3. सामाजिक-धार्मिक नृत्य
4. क्षेत्रिय नृत्य ।
👉 विभिन्न जातीयों के नृत्य एक नजर :
1. भील :- गवरी/राई, युद्ध, द्विचकरी, गोसाई, घूमरा, साद, पालीनोच, हथमनी, नेजा नृत्य ।
2. गरासिया :- रायण, मोरिया, जवारा, गौर, माँदल, कूद, लूर, वालर नृत्य।
3. कथौड़ी :- मावलिया, होली नृत्य ।
4. मेव :- रणबाजा, रतबई नृत्य ।
5. रेबारी :- गैर, लूम्बर नृत्य ।
6. सहरिया :- लहँगी, शिकारी नृत्य ।
7. भील-मीणा :- नेजा नृत्य ।
8. कंजर :- घोड़ी, लहरी, चकरी, धाकड़ नृत्य ।
9. गुर्जर :- चरी नृत्य |
10. कालबेलिया :- शंकरिया, पणीहारी, बागडियां, इण्डोणी नृत्य ।
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