Ai Imaan Walon Allah Se Daro 😔
February 4, 2025 at 03:14 PM
*⚠️ निकाह़ के ज़रीए़ ग़नी होना ⚠️*
अह़ादीसे मुबारका में भी, निकाह़ के ज़रीए़ ग़नी होने का ज़िक्र आया है और अल्लाह (अ़ज़्ज़ व जल्ल) भी क़ुरआन 24:32 में इरशाद फ़रमाता है:
"وَ اَنْكِحُوا الْاَیَامٰى مِنْكُمْ وَ الصّٰلِحِیْنَ مِنْ عِبَادِكُمْ وَ اِمَآىٕكُمْؕ-اِنْ یَّكُوْنُوْا فُقَرَآءَ یُغْنِهِمُ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖؕ-وَ اللّٰهُ وَاسِعٌ عَلِیْمٌ۔"
"और निकाह़ कर दो अपनों में उनका, जो बे-निकाह़ हों और अपने लाइक़ बंदों और कनीज़ों का; अगर वो फ़क़ीर हों, तो अल्लाह उन्हें ग़नी कर देगा अपने फ़ज़्ल के सबब और अल्लाह वुस्अ़त वाला इ़ल्म वाला है."
इसकी तफ़सीर में अबू सालेह़ मुफ़्ती मुह़म्मद क़ासिम क़ादिरी ह़फ़िज़हुल्लाह लिखते हैं:
"इस ग़िना से मुराद क़नाअ़त है या किफ़ायत (के एक का खाना दो के लिए काफ़ी हो जाए) या इससे शौहर और बीवी के दो रिज़्क़ों का जम्अ़ हो जाना या निकाह़ की बरकत से फ़राख़ी ह़ासिल होना मुराद है।"
ह़ुज़ूर (ﷺ) ने फ़रमाया: "तुम औ़रतों से निकाह़ करो, क्योंकि वो तुम्हारे पास (अल्लाह तआ़ला की त़रफ़ से रिज़्क़ और) माल लाएंगी."
📙 [मा'रिफ़तुल क़ुरआन, जिल्द नं. 4, सफ़ह़ा नं. 202, नाशिर: मक्तबतुल मदीना (कराची)]
आप इसकी तफ़सीर में मज़ीद फ़रमाते हैं के ह़ज़रते उ़मर बिन ख़त़्त़ाब रद़ियल्लाहु अ़न्हु ने फ़रमाया:
मुझे उस शख़्स पर तअ़ज्जुब होता है, जो निकाह़ के बग़ैर ग़नी होने की कोशिश कर रहा है, हालांकि अल्लाह तआ़ला ने इरशाद फ़रमाया है:
"अगर वो फ़क़ीर होंगे, तो अल्लाह (अ़ज़्ज़ व जल्ल) उन्हें अपने फ़ज़्ल से ग़नी कर देगा।"
📙 [सिरात़ुल जिनान, जिल्द नं. 6, सफ़ह़ा नं. 628, नाशिर: मक्तबतुल मदीना (कराची)]
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