GYB SOCIAL MEDIA CELL BHADOHI 66
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February 12, 2025 at 06:47 AM
समुचित कैडर के अभाव में हमारे समाज के लोग आरएसएस और मनुवादियों द्वारा महीन तरीके से हमारे महापुरुषों को मनुवादी विचारों द्वारा हड़पने (Co -opt) के प्रयासों को समझ नहीं पाते हैं। अपने पोस्टर्स और कार्यक्रमों में *समरसता* शब्द का बहुत ही चालाकी से प्रयोग किया जाता है। इस प्रयास में RSS द्वारा अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों का ब्रेन वाश किया जाता है जिसमें वह हमारे लोगों के साथ प्रतीकात्मक तौर पर साथ खाना खाने, माला पहनाकर सम्मानित करने और कभी बड़े नेताओं द्वारा नकली सफाई कर्मी बनाकर उनके पांव धोते हुए मीडिया में प्रचारित करते हैं। और यह बताते हैं कि हम सभी लोग आपस में भाई हैं और देखिए आपके साथ उठने बैठने में हम लोग कोई भेदभाव नहीं करते हैं । इसका उद्देश्य समाज में व्याप्त भेदभाव और शोषण की अवधारणा को ही नकारना होता है। जबकि बाबा साहब अंबेडकर और संत गाडगे जी ने *समरसता* की जगह *समता* और *बराबरी* की बात की है। बाबा साहब ने दलित जातियों को पारंपरिक पेशों(unclean occupation) को छोड़ने की बात की है जबकि महात्मा गांधी और अन्य मनुवादी जातिवादी विचारकों ने कहा है कि समाज में जो कार्यों का बंटवारा है वह एक वैज्ञानिक अवधारणा है और जिन जातियों को जो काम सौंपे गए हैं उनको करने में दलित जातियों की आध्यात्मिक सुख महसूस करना चाहिए। इसलिए हमारे समाज को इन बातों पर गंभीर विचार करना चाहिए कि आप मनुवादियों के बताए रास्ते पर चलकर अपने पारंपरिक कार्यों में ही आध्यात्मिक सुख लेना चाहते हैं या बाबा साहब अंबेडकर और संत गाडगे महराज के दिखाई रास्ते पर चलकर एसपी डीएम बनना चाहते हैं ? इसलिए जहां कहीं भी *समरसता* की बात हो तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए क्योंकि यह आपको उसी तरह गुलाम बनाए रखना चाहते हैं जैसे हमारे पुरखों को सदियों तक बनाए रखा बस तरीके बदल लेते हैं। आशा है कि आप सभी साथी हमारी बातों को समझेंगे और केवल हमारे महापुरुषों की फ़ोटो और उनसे संबंधित कार्यक्रम देख कर भ्रमित न हों। अपितु आंख नाक कान खोलकर यह जरूर चेक करें कि उस कार्यक्रम में हमारे महापुरुषों द्वारा बताए गए रास्ते अर्थात हमको एसपी,डीएम, सीएम और पीएम बनाने की बात की जा रही है या हमको धोबी घाटों पर ही आध्यात्मिक सुख महसूस करते रहने के लिए फुसलाया जा रहा। *अमरदीप सिंह माथुर* संरक्षक *गाडगे यूथ ब्रिगेड*

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