संस्कृत संवादः
                                
                            
                            
                    
                                
                                
                                February 3, 2025 at 01:39 PM
                               
                            
                        
                            🌿 अधमं बाधते भूयो दुःखवेगो न तूत्तमम्
पादद्वयं व्रजत्याशु शीतस्पर्शो न चक्षुषी॥
🌞 दुःखवेगः उत्तमं श्रेष्ठजनं न परं तु अधमं नीचजनं भूयः अतीव बाधते पीडयति। शीतस्पर्शः शैत्यप्रभावः चक्षुषी नेत्रे न परं पादद्वयम् आशु शीघ्रं व्रजति प्रभावयति।
🌷 पीड़ा का झोंका नीच को तो बहुत कष्ट देता है पर महान् को नही। ठंड के समय की छुअन (प्रभाव) आँखों पर नहीं पर दोनों पाँवो पर तुरंत चोट करती है।
🌹 The force of sorrow greatly torments the vile one, not the great one. The touch of cold quickly affects the two feet, but not the eyes.  
📍काव्यसङ्ग्रह ।  ६४॥ #subhashitam