संस्कृत संवादः
February 8, 2025 at 03:30 PM
🌿 कुतो निद्रा दरिद्रस्य परप्रेष्यवरस्य च।
परनारीप्रसक्तस्य परद्रव्यहरस्य च॥
🌞 दरिद्रस्य च परप्रेष्यवरस्य पराधीनदासस्य च परनारीप्रसक्तस्य च परद्रव्यहरस्य परधनहारिणः च निद्रा कुतो भवेत्।
🌷 निर्धन की, दूसरे पर आश्रित नौकर की, दूसरे की स्त्री में आसक्त की और दूसरे के पैसों के चोर की नींद कहाँ से उत्पन्न हो।
🌹 Where is the (There's no) sleep of the poor, of the subservient servant, of an adulterer and of the thief of another's wealth?
📍गरुडपुराणम् । १।११५।६८॥ #subhashitam
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