
Rudrametaverse
February 18, 2025 at 02:51 AM
*🔱 शिव सूत्र : "ज्ञानं बन्धः" 🔱*
🕉️ *"ब्रह्मांड भगवान के प्रेम की अभिव्यक्ति है!"* 💫
लेकिन यह *एकता (Oneness)* स्वयं को **"विस्मृति के आवरण (Kanchuka)"** में ढक लेती है और **समय के चक्रों** में बार-बार लौटकर *अपने ही अनुग्रह (Anugraha) से स्वयं को पुनः स्मरण करती है!* 🔄✨
🌿 *यही छुपने और प्रकट होने का खेल ही इस पूरे ब्रह्मांड और हमारे जीवन का एकमात्र उद्देश्य है!*
❇️ *परम एकता स्वयं को मुक्त कर सृजन (Sristi) की प्रक्रिया में बहाती है और अलगाव (Separation) का रूप धारण करती है।*
👉 परंतु यह *"अलगाव"* केवल *भ्रम* है!
👉 *बन्धन केवल सीमित ज्ञान और भेदभाव की अनुभूति है!*
👉 जब हम *अपने शाश्वत स्वरूप को नहीं पहचानते*, तो यही *अज्ञानता (Ignorance) हमारा वास्तविक बंधन* बन जाती है।
🌟 *"कैसे स्वयं को आवरित करता है ब्रह्म?"*
स्वतंत्रता (Svatantrya) की **अनंत शक्ति** द्वारा, *यह एकता अनेक रूपों में प्रकट होती है!*
🔹 *भिन्नताओं को देखना और उनमें उलझ जाना ही बन्धन है!*
🔹 *"कोई विविधता वास्तविक नहीं है।"* (Abhinavagupta)
🔹 *"आखिर में केवल अद्वितीय ज्ञान (Undifferentiated Knowledge) ही सत्य है!"* (Swami Lakshmanjoo)
🌍 *"हर मत, हर विचारधारा केवल कल्पना है!"*
🧐 *विभिन्न मतों की व्याख्या:*
📌 **बौद्ध विचारक** : चेतना का निरंतर प्रवाह ही सत्य है।
📌 **वैदिक विचारक** : एक *सर्वव्यापी आत्मा* ही अंतिम सत्य है।
📌 **उपनिषद् विचारक** : चेतना का *गुण* ही अंतिम सत्य है।
📌 **कुछ अन्य विचारक** : *व्यक्ति, शरीर या मन ही सत्य है।*
⚡ परंतु अभिनवगुप्त जी कहते हैं कि *ये सब केवल मानसिक कल्पनाएँ हैं!*
🔺 *"जैसे दर्पण में प्रतिबिंब होते हैं, वैसे ही यह समस्त सृष्टि आत्मा (Atman) में प्रकाशित होती है!"*
🔺 *पुण्य-पाप, स्वर्ग-नरक, जन्म-मृत्यु केवल माया (Maya) का भ्रम हैं!*
💡 *"तुम कितनी भी ऊँचाइयों तक पहुँच जाओ, यदि तुम यह भूल गए कि केवल एक ही सत्ता (Oneness) है, तो तुम अब भी बंधन में हो!"*
📌 *जो तुम अच्छे-बुरे, तुच्छ-महान विचार समझते हो, वे सब भी उसी परमात्मा की अभिव्यक्ति हैं!*
📌 *जब तुम दूसरों पर निर्णय सुनाते हो, तब तुम स्वयं को उसी सीमित चेतना में फँसा लेते हो!*
📌 *निर्णय (Judgment) हमें सीमित कर देता है, जबकि विवेक (Discernment) हमें मुक्त करता है!*
🙏 *स्वामी लक्ष्मण जू कहते हैं* :
*"अज्ञानता ही अशुद्धता है, और पाप केवल यह है कि तुम अपने असली स्वरूप को भूल चुके हो!"* 🔥
✨ *तो जागो, स्मरण करो और उस दिव्य सत्य से पुनः जुड़ो!*
📌 *"रहें जिज्ञासु और अपने भीतर की चेतना से जुड़े रहें!"**
🌟 *"रहें जुड़े *rudrametaverse* से!"** 🚀
🙏
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