Rudrametaverse
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February 27, 2025 at 01:06 AM
🔱 *शिव सूत्र 1.7-1.11: "भैरव अवस्था की प्राप्ति* 🔱* 🕉️ *"भैरव चेतना" (Bhairava State) में तुरंत जागरण केवल उन्हीं *वीर आत्माओं* को प्राप्त होता है जो परम सत्य की ओर अत्यधिक एकाग्रता और संकल्प के साथ बढ़ते हैं!* 🔥 📖 *एक पुरानी कथा है:* एक जिज्ञासु साधक ने एक गुरु से कहा - "मैं आत्मज्ञान चाहता हूँ!" गुरु मुस्कराते हुए उसे नदी में ले गए और अचानक उसका सिर पानी में डुबो दिया। जब साधक सांस लेने के लिए तड़पने लगा, तब गुरु ने उसे बाहर निकाला और कहा - *"जिस दिन तुम्हें आत्मज्ञान पाने की तड़प उतनी होगी जितनी अभी तुम्हें सांस लेने की थी, तब आना!"* 💡 **यही एकाग्रता हमें हमारे भीतर छुपे सत्य तक पहुँचाती है!** 🔹 *हमने स्वयं को अनेक आवरणों में लपेट लिया है, ताकि अपने ही पूर्ण अस्तित्व को भूल जाएँ!* 🔹 *हमारी अधूरी अनुभूति हमें सत्य की खोज में भ्रमित कर देती है!* 🔹 *यह सब स्वयं का खेल (Play) है!* 🧘‍♂️ *स्वामी लक्ष्मण जू कहते हैं:* *"सिर्फ निष्क्रिय ध्यान से कुछ नहीं होगा, आत्मज्ञान केवल सक्रिय साधकों के लिए है!"* ⚡ *"जो व्यक्ति इसे किसी भी चीज़ से अधिक चाहता है, केवल वही इसे प्राप्त कर सकता है!"** 🌀 *"तुरीय अवस्था (Turya State) – चौथी चेतना अवस्था"** 📌 हम आमतौर पर तीन अवस्थाओं में जीते हैं: 1️⃣ *जाग्रत (Waking State)* - भौतिक दुनिया का अनुभव। 2️⃣ *स्वप्न (Dreaming State)* - मानसिक कल्पनाएँ और स्वप्न। 3️⃣ *सुषुप्ति (Deep Sleep)* - गहरी नींद, बिना किसी अनुभव के। 🔥 परंतु इनके पीछे *एक और अवस्था छिपी होती है - "तुरीय (Turya)" अवस्था!* 💡 *"तुरीय" अवस्था परमात्मा की अखंड चेतना है, जो हर अवस्था के पार है!** 📜 *जैदेव सिंह कहते हैं:* *"एक बार जब साधक 'तुरीय अवस्था' को पा लेता है, तो वह हर अवस्था में एक ही चेतना को अनुभव करता है - चाहे वह जाग्रत हो, स्वप्न में हो, या गहरी नींद में!"* 🌟 *"जो तुरीय अवस्था को प्राप्त करता है, वह स्वयं प्रकाश बनकर इस संसार को आनंद और शुद्धि से भर देता है!"** 📖 *भगवद गीता (2.58-59) कहती है:* *"जिस प्रकार कछुआ अपने अंगों को अपने भीतर समेट लेता है, उसी प्रकार जो व्यक्ति अपनी इंद्रियों को उनके विषयों से पूरी तरह हटा लेता है, उसकी बुद्धि स्थिर हो जाती है!"* 🕊️ *जब तुम 'देखने वाले' बन जाते हो, तो यह संसार केवल एक नाटक बन जाता है!* 👉 **अब तुम "शरीर" नहीं रह जाते, बल्कि शरीर और इसकी इंद्रियों के "खिलाड़ी" (Player) बन जाते हो!** 🔱 *"अब तुम्हें यह संसार नहीं खेलेगा, बल्कि तुम इस संसार को खेलोगे!"** 📌 *"रहें जिज्ञासु और अपने भीतर की चेतना से जुड़े रहें!"** 🌟 *"रहें जुड़े *rudrametaverse* से!" 🚀
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