Rudrametaverse
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March 2, 2025 at 01:29 AM
*🔱 शिव सूत्र 1.14: "दृश्यम् शरीरम्" 🔱* 🕉️ *"जो कुछ भी हम देखते, सुनते, महसूस करते हैं - वह सब केवल इंद्रियों का खेल है!"* 💡 **हमारी पाँच इंद्रियाँ** 🏵️ 📌 *आँखें (Eyes) – दृश्य (Vision)* 👁️ 📌 *कान (Ears) – ध्वनि (Sound)* 🎶 📌 *त्वचा (Skin) – स्पर्श (Touch)* 🤲 📌 *जीभ (Tongue) – स्वाद (Taste)* 🍯 📌 *नाक (Nose) – गंध (Smell)* 🌸 👉 *ये सभी केवल विद्युत संकेतों (Electrical Impulses) को मस्तिष्क तक पहुँचाते हैं!* 👉 *इन्हीं संकेतों से हम अपने चारों ओर की दुनिया को "वास्तविक" मानते हैं!* 🌀 *"परंतु यह केवल बाहरी आवरण (Appearance) है!"** 🔹 *योगी, जो परम चेतना में प्रवेश कर चुका है, इन इंद्रियों से परे चला जाता है!* 🔹 *वह "स्पंद" (Spanda) के दिव्य अमृत सागर में विलीन हो जाता है!* 💫 *"यह संपूर्ण ब्रह्मांड चिदानंद (Cidananda) के अमृत से बना है!"** 📖 *स्वामी लक्ष्मण जू कहते हैं:* *"संपूर्ण सृष्टि चेतना और आनंद का द्रव (Liquid of Consciousness & Bliss) है!"* 🔥 *जब यह अनुभव होता है, तो व्यक्ति स्वयं को अलग नहीं मानता!* 🔥 *वह जानता है कि - "अहमिदम्" (Aham Idam) अर्थात् 'मैं ही संपूर्ण ब्रह्मांड हूँ'!* 👉 **अब वह स्वयं को एक शरीर मात्र नहीं मानता, बल्कि इस पूरी सृष्टि को अपने ही शरीर के विस्तार के रूप में देखता है!** 🌊 *"परम ज्ञान प्राप्त योगी, इस आनंद के महासागर में तैरते हुए, द्वैत और सीमाओं से मुक्त हो जाता है!"* 📌 *"रहें जिज्ञासु और अपने भीतर की चेतना से जुड़े रहें!"** 🌟 *"रहें जुड़े *rudrametaverse* से!" 🚀
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