जाने जैन इतिहास को ✨
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February 2, 2025 at 02:37 AM
*2 फरवरी* *कब क्या हुआ!* - जाने तेरापंथ के इतिहास को नवीन शैली में मर्यादा महोत्सव के गीतों के निर्माण का प्रारंभ सन 1943 से हुआ। *महोत्सव के गीतों की शैली में बदलाव* श्रीमज्जयाचार्य ने मर्यादा-महोत्सव और चरमोत्सव की स्थापना की। वे दोनों ही महोत्सवों पर प्रतिवर्ष गीतों की रचना करते। मर्यादा-महोत्सव पर रचित गीत आचार्य भिक्षु द्वारा लिखित मर्यादा पत्र का पद्यानुवाद मात्र होते थे और चरमोत्सव पर रचित गीतों में स्वामीजी का संक्षिप्त जीवन परिचय एवं उनके मध्यकालीन जीवन की झलकियां होती थीं। उत्तरवर्ती आचार्यों की गीत-रचना का आधार जयाचार्य द्वारा निर्मित गीत ही रहे अतः उस समय तक लगभग सभी आचार्यो की प्रस्तुति का तरीका वही रहा। मात्र रागिनी भिन्न होती, प्रतिपाद्य वही रहता। आचार्य श्री तुलसी के भी गीतों का कुछ वर्षों तक यही क्रम रहा, फिर उन्होंने चिन्तन किया मर्यादा पत्र का वाचन स्वतंत्र रूप से होता ही है, तब गीत में उन्हीं भावनाओं को प्रतिबिम्बित करने का विशेष क्या अर्थ होगा ? इस चिन्तन को क्रियान्वित करते हुए आचार्य श्री ने सन् 1943 (वि. सं. 2000) से गीत के प्रतिपाद्य, भाषा एवं प्रस्तुति में परिवर्तन करना शुरू किया। जैन धर्म को जानने के लिए चैनल से जुड़े - https://whatsapp.com/channel/0029VayfLav6GcG8zAG6gz2G *समण संस्कृति संकाय* कार्यालय संपर्क सूत्र- *9784762373, 9694442373, 9785442373* 📲 प्रस्तुति : *समण संस्कृति संकाय, जैन विश्व भारती* 📲 संप्रसारक : *अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़*

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