जाने जैन इतिहास को ✨
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February 10, 2025 at 01:11 PM
*9 फरवरी* *कब क्या हुआ!* - जाने तेरापंथ के इतिहास को सन् 1951 से आचार्यों के सामने वाचना के समय साध्वियों का कम्बल बिछाकर बैठना प्रारंभ हुआ। *कंबल बिछाने की परंपरा* वि. सं. 2008 में आचार्यवर भारत की राजधानी दिल्ली में प्रवास कर रहे थे। गर्मी का मौसम था। मध्याह में आचार्यश्री साध्वियों को संस्कृत ग्रंथ की वाचना देते थे। उस समय तक साध्वियां आचार्य की सन्निधि में वंदनासन में बैठती थीं या उकडू आसन में बैठती थीं। सुखासन में बैठने की पद्धति नहीं थी। नीचे कंबल भी नहीं बिछाती थीं। वाचना का क्रम संपन्न हुआ। साध्वियां वंदना कर कृतज्ञता ज्ञापित कर वहां से उठीं। गुरुदेव ने स्थान पर दृष्टि डाली। वह पसीने से गीला हो चुका था। जहां साध्वी फूलकुमारीजी (लाडनूं) बैठी थीं, वहां तो ऐसा लगा मानो पानी गिराया गया हो। आचार्यश्री ने आदेश की भाषा में कहा-देखो, पसीने से जगह कितनी गीली हो गई। कोई देखे तो अच्छा नहीं लगता। कल से सब साथ में कंबल लेकर आना और उसे बिछाकर बैठना। उस दिन के बाद कंबल बिछाकर बैठने की परंपरा चालू हो गई। जैन धर्म को जानने के लिए चैनल से जुड़े - https://whatsapp.com/channel/0029VayfLav6GcG8zAG6gz2G *समण संस्कृति संकाय* कार्यालय संपर्क सूत्र- *9784762373, 9694442373, 9785442373* 📲 प्रस्तुति : *समण संस्कृति संकाय, जैन विश्व भारती* 📲 संप्रसारक : *अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़*

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