जाने जैन इतिहास को ✨
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February 19, 2025 at 02:20 AM
*19 फरवरी* *कब क्या हुआ!* - जाने तेरापंथ के इतिहास को विहारों में हस्तलिखित ग्रंथ, उपकरण अथवा पात्रियां रखने के लिए सिलाई युक्त नांगला- झोलका का उपयोग सन् 1958 के लगभग हुआ। नांगला-विहारों में हस्तलिखित ग्रंथ या उपकरण रखने का साधन है। झोलका-पात्रियां रखने का साधन है। पहले नांगला दोनों ओर काठ की पट्टी देकर चौकोर कपड़े के पल्ले में लम्बी डोरी से बांधकर बनाया जाता था। डोरी को नांगला बोला जाता था। उससे बांधने के कारण उस उपकरण का नाम भी नांगला हो गया। झोलका भी चौकोर पल्ले में यों ही गांठ लगाकर पात्रियां डालने के काम आता था। वर्तमान में व्यवस्थित रूप से कपड़े की सिलाई करके नांगला-झोलका तैयार किया जाता है। उसका प्रारंभ संभवतः सन् 1958 (वि. सं. 2015) के आसपास हुआ। फिर उसमें धीरे-धीरे परिष्कार होता गया। जैन धर्म को जानने के लिए चैनल से जुड़े - https://whatsapp.com/channel/0029VayfLav6GcG8zAG6gz2G *समण संस्कृति संकाय* कार्यालय संपर्क सूत्र- *9784762373, 9694442373, 9785442373* 📲 प्रस्तुति : *समण संस्कृति संकाय, जैन विश्व भारती* 📲 संप्रसारक : *अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़*

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