जाने जैन इतिहास को ✨
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February 24, 2025 at 02:02 AM
*24 फरवरी* *कब क्या हुआ!* - जाने तेरापंथ के इतिहास को सन 1971 लाडनूं चातुर्मास से प्रथम प्रहर की गोचरी सामान्य रूप से प्रारंभ हुई। प्रातः कालीन गोचरी सन् 1959 (वि. स. 2016) कोलकाता चातुर्मास से पहले प्रातःकालीन गोचरी नही होती थी। प्रातः कालीन गोचरी सबसे पहले कोलकाता चातुर्मास में छगनमलजी सेठिया (सुजानगढ़) के निवेदन पर प्रारम्भ हुई। उन्होंने आचार्यप्रवर से निवेदन किया कि यहां दूध की उपलब्धि सुबह-सुबह ही हो सकती है बाद में नहीं। अतः साधु-साध्वियों को प्रथम प्रहर की गोचरी की अनुज्ञा दिराएं। उनके निवेदन पर आचार्यप्रवर ने प्रथम प्रहर की गोचरी करने की अनुमति प्रदान की। तपस्या, विहार या विशेष परिस्थिति मे प्रायः प्रातः गोचरी की जाती थी। गुजरात और पंजाब में विहार करने वाले साधु-साध्वियों को भी प्रथम प्रहर की गोचरी की अनुमति थी क्योंकि वहां मध्याह्न की गोचरी विलम्ब से होती थी। गृहस्थों में प्रातराश की पद्धति बढ़ने से मध्याह्न का भोजन देर से उपलब्ध होने लगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए सन् 1971 (वि. सं. 2028) लाडनूं चातुर्मास से प्रथम प्रहर की गोचरी सामान्य रूप में होने लगी। इसके पीछे मुख्यतः गांवों-नगरों का विस्तार और गृहस्थों की जीवन शैली कारण बनी। जैन धर्म को जानने के लिए चैनल से जुड़े - https://whatsapp.com/channel/0029VayfLav6GcG8zAG6gz2G *समण संस्कृति संकाय* कार्यालय संपर्क सूत्र- *9784762373, 9694442373, 9785442373* 📲 प्रस्तुति : *समण संस्कृति संकाय, जैन विश्व भारती* 📲 संप्रसारक : *अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़*

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