जाने जैन इतिहास को ✨
जाने जैन इतिहास को ✨
February 25, 2025 at 02:14 AM
*25 फरवरी* *कब क्या हुआ!* - जाने तेरापंथ के इतिहास को आचार्य तुलसी के शासन काल में लंबी यात्रा में पैरों की सुरक्षा के लिए ट्यूब के पदत्राण का उपयोग प्रारंभ हुआ। पदत्राण का उपयोग जब तक सड़कें नहीं थीं, पैर भी नहीं घिसते थे। सड़कों पर चलने से पैरों की चमड़ी घिस जाती। खून चूने लगता। आचार्यश्री की कोलकाता यात्रा होने वाली थी। लम्बी यात्रा के लिए पैरों की सुरक्षा का उपाय सोचा गया। साइकिल की ट्यूब से पदत्राण बनाए गए। आधे मोजे के आकार के यानी केवल पंजा टिके उतने हिस्से के बनाए गए। वे पहनने में उपयोगी लगे। तब से आवश्यकतानुसार उनका उपयोग किया जाने लगा। समय के साथ पदत्राण के निर्माण में परिवर्तन-परिष्कार होता रहा । पहले केवल पंजा टिके उतना सा बनाते। फिर पंजे का अलग और एड़ी में पहनने का अलग बनने लगा। उसके बाद पूरे पैर का बनाकर बीच में से थोड़ा काट दिया जाता। उसके बाद पूरे पैर के पदत्राण बनने शुरू हो गये। जैन धर्म को जानने के लिए चैनल से जुड़े - https://whatsapp.com/channel/0029VayfLav6GcG8zAG6gz2G *समण संस्कृति संकाय* कार्यालय संपर्क सूत्र- *9784762373, 9694442373, 9785442373* 📲 प्रस्तुति : *समण संस्कृति संकाय, जैन विश्व भारती* 📲 संप्रसारक : *अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़*
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