जाने जैन इतिहास को ✨
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February 27, 2025 at 01:54 AM
*27 फरवरी* *कब क्या हुआ!* - जाने तेरापंथ के इतिहास को सन् 1960 में साधु साध्वियों का अपना पुस्तक भंडार लाडनूं सेवाकेंद्र में निर्मित हुआ। पुस्तक भंडार शारीरिक संहनन को देखते हुए साधु-साध्वियों को दिया जाने वाला समुच्चय का वजन कम करना चाहिए, यह चिन्तन सामने आया इस चिन्तन के साथ ही जुड़ा हुआ दूसरा बिन्दु था कि अतिरिक्त पुस्तकों को कहां रखा जाए? चिन्तन-मंथन के बाद सन् 1960 (वि. सं. 2017) द्विशताब्दी के अवसर पर लाडनूं सेवा केन्द्र पर दृष्टि टिकी। श्रीमज्जयाचार्य के शासनकाल में वृद्ध एवं रुग्ण साध्वियों के लिए लाडनूं सेवाकेन्द्र की शुरुआत हुई थी। वह स्थान उपयुक्त समझ कर निर्णय लिया गया कि तेरापंथ धर्मसंघ का पुस्तक भंडार वहां रहेगा। उसके बाद दुर्लभ प्राचीन प्रतियां, हस्तलिखित पन्नों वाली पुस्तकें तथा इसी प्रकार की महत्त्वपूर्ण सामग्री वहीं रखी जाने लगी। पुस्तक भण्डार की सुरक्षा का दायित्व एवं सार-संभाल का दायित्व सेवाकेन्द्र में सेवाकार्य के लिए नियोजित अग्रगण्य साध्वी तथा उनकी सहयोगिनी साध्वियों पर रहता है। ज्ञातव्य है कि कुछ मुद्रित प्रतियां एवं संघीय उपयोगी उपकरण पहले से ही सेवाकेन्द्र में रहते थे। पर आज जिस रूप में सेवाकेन्द्र का पुस्तक भण्डार है, वह द्विशताब्दी के अवसर पर किये गये निर्णय की फलश्रुति है। जैन धर्म को जानने के लिए चैनल से जुड़े - https://whatsapp.com/channel/0029VayfLav6GcG8zAG6gz2G *समण संस्कृति संकाय* कार्यालय संपर्क सूत्र- *9784762373, 9694442373, 9785442373* 📲 प्रस्तुति : *समण संस्कृति संकाय, जैन विश्व भारती* 📲 संप्रसारक : *अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़*

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