ESM CORNER 🪖🎖️
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February 3, 2025 at 08:41 AM
*सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) ने प्रीमैच्योर रिटायरमेंट (PMR) पेंशनर्स के पक्ष में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।* मामला 07.11.2015 की ओआरओपी (OROP) नीति से जुड़ा था, जिसमें 01.07.2014 के बाद पीएमआर लेने वाले सैन्य कर्मियों को ओआरओपी के लाभ से बाहर कर दिया गया था। न्यायालय ने इस बहिष्कार को अवैध और असंवैधानिक घोषित किया, जो संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन करता है। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि ओआरओपी का उद्देश्य समान रैंक और समान सेवा अवधि वाले सभी सैनिकों को बराबर पेंशन देना है, और किसी विशेष कटऑफ तारीख के आधार पर किसी भी समूह को बाहर करना इस उद्देश्य के खिलाफ है। सरकार इस भेदभाव को न्यायसंगत ठहराने में असफल रही। अदालत ने यह भी खारिज कर दिया कि पीएमआर लेने वाले सैनिकों को पता था कि उन्हें ओआरओपी का लाभ नहीं मिलेगा, इसलिए उन्होंने "बेहतर अवसरों" के लिए स्वेच्छा से इसे चुना। अदालत ने दो टूक कहा कि समानता एक मौलिक अधिकार है, जिसे छोड़ा नहीं जा सकता। पीएमआर केवल व्यक्ति के लिए ही नहीं बल्कि संगठन के कैडर मैनेजमेंट के लिए भी आवश्यक है और यह स्वतः ही पेंशन के अधिकार को समाप्त नहीं कर सकता। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि पेंशन आखिरी वेतन के आधार पर दी जा रही है, तो इसे केवल रिटायरमेंट की तारीख के आधार पर इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिए, 07.11.2015 की नीति के पैरा 4 और इससे जुड़े अन्य प्रावधानों को निरस्त कर दिया गया है। *यह फैसला पीएमआर प्रभावित पेंशनर्स के लिए एक बड़ी जीत है। यह लाभ केवल उन्हीं को मिलेगा जो कानूनी कार्रवाई करेंगे। हमारे साथ जुड़ें और सामूहिक रूप से केस फाइल करें ताकि आप अपना विधि सम्मत अधिकार प्राप्त कर सकें।* https://chat.whatsapp.com/HssQ1egVGB51PGcJfyn7Zi
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