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March 1, 2025 at 01:13 PM
*_तरावीह की नमाज़ का आसान तरीका_*
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*तरावीह की नमाज़ में पढ़ी जाने वाली सूरतें और सलाम फेरने के बाद की दुआएं*
नमाज़ का तरीका बहोत आसान है। _एक रक’आत में एक क़याम, एक रुकू और दो सजदे होते है। नमाज़ का तरीका कुछ इस तरह है_
नमाज़ के लिए क़िबला रुख होकर नमाज़ के इरादे के साथ *अल्लाहु अकबर* (तकबीर )
केहें कर हाथ बांध लीजिये।
हाथ बाँधने के बाद सना पढ़िए। आपको जो भी सना आता हो वो सना आप पढ़ सकते है। सना के मशहूर अल्फाज़ इस तरह है
*सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबारका इस्मुका व त’आला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका”*
इसके बाद त’अव्वुज पढ़े। त’अव्वुज के अल्फाज़ यह है
*अउजू बिल्लाहि मिनश* *शैतान* *निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम।*
इसके बाद सुरे फातिहा पढ़े।
*بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيمِ*
الْحَمْدُ لِلّٰهِ رَبِّ الْعَالَمِيْنَ ﴿ ١ ﴾ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيْمِ ﴿ ٢ ﴾ مَالِكِ يَوْمِ الدِّيْنِ ﴿ ٣ ﴾ إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِيْنُ ﴿ ٤ ﴾ إِهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيْمَ﴿ ٥ ﴾ صِرَاطَ الَّذِيْنَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ﴿ ٦ ﴾ غَيْرِ الْمَغْضُوْبِ عَلَيْهِمْ وَلَا الضَّالِّيْنَ ﴿ ٧ ﴾
(1)
(सूर ए फ़ातिह़ा)
*बिस्मिल्लाहिर्रह़मानिर्रह़ीम।*
*अल्ह़म्दुलिल्लाहिरब्बिल् आ़लमीन। अर्रह़्मानिर्रह़ीम। मालिकि यौमिद्दीन। इय्याक नअ़्बुदु व इय्याक नस्तई़न। इहदिनस़्स़िरात़ल् मुस्तक़ीम। स़िरात़ल्लज़ीन अन्अ़म्त अ़लैहिम्। ग़ैरिल्मग़्द़ूबि अ़लैहिम् व लद़द़ाल्लीन। आमीन्*
*_सुरे फ़ातिहा के बाद सूरतें पढ़े।_*
*_अगर पूरा क़ुरआन याद न होतो जितना याद हो उस हिसाब से पढ़ सकते हैं, सूरह जो भी याद हो वो पढ़ सकते हैं_*
*بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيمِ*
أَلَمْ تَرَ كَيْفَ فَعَلَ رَبُّكَ بِأَصْحَابِ الْفِيْلِ﴿ ١ ﴾أَلَمْ يَجْعَلْ كَيْدَهُمْ فِي تَضْلِيْلٍ ﴿ ٢ ﴾وَأَرْسَلَ عَلَيْهِمْ طَيْرًا أَبَابِيْلَ﴿ ٣ ﴾تَرْمِيْهِمْ بِحِجَارَةٍ مِنْ سِجِّيْلٍ﴿ ٤ ﴾فَجَعَلَهُمْ كَعَصْفٍ مَأْكُوْلٍ ﴿ ٥ ﴾
(1)
(सूर ए फ़ील)
*बिस्मिल्लाहिर्रह़्मानिर्रह़ीम ।*
*अलम् तरकैफ़ फ़अ़ल रब्बुक बिअस़्ह़ाबिल् फ़ील*
*अलम् यज्अ़ल् कैदहुम् फ़ी तद़्लील । व अर्सल अ़लैहिम् त़ैरन् अबाबील।तर्मीहिम् बिह़िजारतिम् मिन् सिज्जील। फ़ज्अ़लहुम् कअ़स़्फ़िम् मअ्कूल्।*
*بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيمِ*
لِإِيْلَافِ قُرَيْشٍ﴿ ١ ﴾إِيْلَافِهِمْ رِحْلَةَ الشِّتَاءِ وَالصَّيْفِ﴿ ٢ ﴾فَلْيَعْبُدُوْا رَبَّ هَذَا الْبَيْتِ ﴿ ٣ ﴾الَّذِي أَطْعَمَهُمْ مِنْ جُوْعٍ وَآمَنَهُمْ مِنْ خَوْفٍ ﴿ ٤ ﴾
(2)
(सूर ए क़ुरैश)
*बिस्मिल्लाहिर्रह़्मानिर्रह़ीम ।*
*लिईलाफ़ि क़ुरैश। ईलाफ़िहिम् रिह़्लतश्शिताइ वस़्स़ैफ़।फ़ल्यअ़्बुदु रब्बहाज़ल् बैत। अल्लज़ी अत़्अ़महुम् मिन् जूअ़। व आमनहुम् मिन् ख़ौफ़्*
*بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيمِ*
أَرَأَيْتَ الَّذِي يُكَذِّبُ بِالدِّيْنِ ﴿ ١ ﴾فَذَلِكَ الَّذِي يَدُعُّ الْيَتِيْمَ ﴿ ٢ ﴾وَلَا يَحُضُّ عَلَى طَعَامِ الْمِسْكِيْنِ ﴿ ٣ ﴾فَوَيْلٌ لِلْمُصَلِّيْنَ﴿ ٤ ﴾الَّذِيْنَ هُمْ عَنْ صَلَاتِهِمْ سَاهُوْنَ ﴿ ٥ ﴾الَّذِيْنَ هُمْ يُرَاءُوْنَ ﴿ ٦ ﴾وَيَمْنَعُوْنَ الْمَاعُوْنَ ﴿ ٧ ﴾
(3)
(सूर ए माऊ़न)
*बिस्मिल्लाहिर्रह़्मानिर्रह़ीम ।*
*अरऐतल्लज़ी युकज़्ज़िबु बिद्दीन। फ़ज़ालिकल् लज़ी यदुउ़्उ़ल् यतीम। वलायह़ुद़्द़ु अ़ला* *त़आ़मिल् मिस्कीन। फ़वैलुल्लिल् मुस़ल्लीन।अल्लज़ीन हुम् अ़न् स़लातिहिम् साहून। अल्लज़ीन हुम् युराऊन।व यम्नऊ़नल् माऊ़न*
*بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيمِ*
إِنَّا أَعْطَيْنَاكَ الْكَوْثَرَ ﴿ ١ ﴾فَصَلِّ لِرَبِّكَ وَانْحَرْ ﴿ ٢ ﴾إِنَّ شَانِئَكَ هُوَ الْأَبْتَرُ﴿ ٣ ﴾
(4)
(सूर ए कौसर)
*बिस्मिल्लाहिर्रह़्मानिर्रह़ीम ।*
*इन्ना अअ़्त़ैनाकल् कौसर। फ़स़ल्लिलि रब्बिक वन्ह़र्। इन्नशानिअक हुवल् अब्तर्*
*بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيمِ*
قُلْ يٰأَيُّهَا الْكَافِرُوْنَ﴿ ١ ﴾لَا أَعْبُدُ مَا تَعْبُدُوْنَ﴿ ٢ ﴾وَلَا أَنْتُمْ عَابِدُوْنَ مَا أَعْبُدُ ﴿ ٣ ﴾وَلَا أَنَا عَابِدٌ مَا عَبَدْتُمْ ﴿ ٤ ﴾وَلَا أَنْتُمْ عَابِدُوْنَ مَا أَعْبُدُ ﴿ ٥ ﴾لَكُمْ دِيْنُكُمْ وَلِيَ دِيْنِ ﴿ ٦ ﴾
(5)
(सूर ए काफ़िरून)
*बिस्मिल्लाहिर्रह़्मानिर्रह़ीम ।*
*क़ुल् या अय्युहल् काफ़िरून। ला अअ़्बुदु मा तअ़्बुदून। वला अन्तुम् आ़बिदून मा अअ़्बुद। वला अन आ़बिदुम् मा अ़बत्तुम्। वला अन्तुम् आ़बिदून मा अअ़्बुद।लकुम् दीनुकुम् वलियदीन्।*
*بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيمِ*
إِذَا جَاءَ نَصْرُ اللّٰهِ وَالْفَتْحُ ﴿ ١ ﴾وَرَأَيْتَ النَّاسَ يَدْخُلُوْنَ فِي دِيْنِ اللّٰهِ أَفْوَاجًا ﴿ ٢ ﴾فَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ وَاسْتَغْفِرْهُ إِنَّهُ كَانَ تَوَّابًا ﴿ ٣ ﴾
(6)
(सूर ए नस़्र)
*बिस्मिल्लाहिर्रह़्मानिर्रह़ीम ।*
*इज़ा जाअ नस़रुल्लाहि वल् फ़त्ह़। वरऐतन्नास यद्ख़ुलून फ़ीदीनिल्लाहि अफ़्वाजा । फ़सब्बिह़् बिह़म्दि रब्बिक वस्तग़्फ़िर्ह । इन्नहू कान तव्वाबा*
*بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيمِ*
تَبَّتْ يَدَا أَبِي لَهَبٍ وَتَبَّ ﴿ ١ ﴾مَا أَغْنَى عَنْهُ مَالُهُ وَمَا كَسَبَ﴿ ٢ ﴾سَيَصْلَى نَارًا ذَاتَ لَهَبٍ ﴿ ٣ ﴾وَامْرَأَتُهُ حَمَّالَةَ الْحَطَبِ ﴿ ٤ ﴾فِي جِيْدِهَا حَبْلٌ مِنْ مَّسَدٍ ﴿ ٥ ﴾
(7)
(सूर ए लहब)
*बिस्मिल्लाहिर्रह़्मानिर्रह़ीम ।*
*तब्बत यदा अबी लहबिव्वतब्ब । मा अग़्ना अ़न्हु मालुहू वमा कसब। सयस़्ला नारन् ज़ात लहब । वम्रअतुहु ह़म्मालतल् ह़त़ब । फ़ीजीदिहा ह़ब्लुम् मिम् मसद*
*بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيمِ*
قُلْ هُوَ اللّٰهُ أَحَدٌ ﴿ ١ ﴾اللّٰهُ الصَّمَدُ﴿ ٢ ﴾لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُوْلَدْ﴿ ٣ ﴾وَلَمْ يَكُنْ لَهُ كُفُوًا أَحَدٌ ﴿ ٤ ﴾
(8)
(सूर ए इख़्लास़)
*बिस्मिल्लाहिर्रह़्मानिर्रह़ीम।*
*क़ुल हुवल्लाहु अह़द् ।अल्लाहुस़्स़मद् । लम् यलिद् । व लम् यूलद् । व लम् य कुल्लहू कुफ़ुवन् अह़द्।*
*بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيمِ*
قُلْ أَعُوْذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ﴿ ١ ﴾مِنْ شَرِّ مَا خَلَقَ﴿ ٢ ﴾وَمِنْ شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ ﴿ ٣ ﴾وَمِنْ شَرِّ النَّفّٰثّٰتِ فِي الْعُقَدِ ﴿ ٤ ﴾وَمِنْ شَرِّ حَاسِدٍ إِذَا حَسَدَ ﴿ ٥ ﴾
(9)
(सूर ए फ़लक़्)
*बिस्मिल्लाहिर्रह़्मानिर्रह़ीम।*
*क़ुल् अऊ़ज़ु बिरब्बिल् फ़लक़् । मिन् शर्रिमा ख़लक़् । व मिन् शर्रि ग़ासिक़िन् इज़ा वक़ब् । व मिन् शर्रिन् नफ़्फ़ासाति फ़िल् उ़क़द् । वमिन् शर्रिह़ासिदिन् इज़ा ह़सद्*
*بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيمِ*
قُلْ أَعُوْذُ بِرَبِّ النَّاسِ﴿ ١ ﴾مَلِكِ النَّاسِ﴿ ٢ ﴾إِلٰهِ النَّاسِ ﴿ ٣ ﴾مِنْ شَرِّ الْوَسْوَاسِ الْخَنَّاسِ﴿ ٤ ﴾الَّذِي يُوَسْوِسُ فِي صُدُوْرِ النَّاسِ ﴿ ٥ ﴾مِنَ الْجِنَّةِ وَالنَّاسِ ﴿ ٦ ﴾
(10)
(सूर ए नास)
*बिस्मिल्लाहिर्रह़्मानिर्रह़ीम।*
*क़ुल् अऊ़ज़ु बिरब्बिन्नास* *मलिकिन्नास । इलाहिन्नास । मिन् शर्रिल् वस्वासिल् ख़न्नास* *अल्लज़ी युवस्विसु फ़ी स़ुदूरिन्नास मिनल् जिन्नति वन्नास*
*_अगर पूरा क़ुरआन याद न होतो जितना याद हो उस हिसाब से पढ़ सकते हैं, सूरह जो भी याद हो वो पढ़ सकते हैं_*
इसके बाद अल्लाहु अकबर (तकबीर) कह कर रुकू में जायें।
रुकू में जाने के बाद अल्लाह की तस्बीह बयान करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। तस्बीह के मशहूर अल्फाज़ यह है, *सुबहान रब्बी यल अज़ीम*
इसके बाद *समीअल्लाहु* *लिमन* *हमिदा* कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाये।
खड़े होने के बाद *रब्बना व* *लकल हम्द , हम्दन कसीरन *तयेबन *मुबारकन फीही’* जरुर कहें।
इसके बाद *अल्लाहु अकबर* कहते हुवे सज्दे में जायें।
सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह बयान करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। तस्बीह के मशहूर अल्फाज़ यह है *सुबहान रब्बी यल आला*
इसके बाद *अल्लाहु अकबर* कहते हुवे सज्दे से उठकर बैठे।
फिर दोबारा *अल्लाहु अकबर* कहते हुवे सज्दे में जायें।
सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। या फिर वही कहें जो आम तौर पर सभी कहते हें *सुबहान रब्बी अल आला*
दोनों सज्दों के बीच कहे यह दुआ पढ़ेः
*अल्लाहुम्मग़ फ़िर-ली, वर्हम्नी वज्बुर्नी वर्फा'नी व आफिनी वर्ज़ुक़्नी*
और अगर चाहे तो यह दुआ पढ़ेः *रब्बिग़ फ़िर-ली, रब्बिग़ फिर-ली*
यह हो गई नमाज़ की एक रक’आत। इसी तरह उठ कर आप दूसरी रक’अत पढ़ सकते हैं। दो रक’आत वाली नमाज़ में सज्दे के बाद तशहुद में बैठिये.
तशहुद में बैठ कर सबसे
*पहले अत्तहिय्यात पढ़िए। अत्तहिय्यात के अल्लाह के रसूल ने सिखाये हुवे अल्फाज़ यह है,*
*अत्ताहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तैयिबातू अस्सलामु अलैका अय्युहन नाबिय्यु रहमतुल्लाही व बरकताहू अस्सलामु अलैना व आला इबादिल्लाहिस सालिहीन अशहदु अल्ला इलाहा इल्ललाहू व अशहदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसुलहू’*
. _इसके बाद दरूद पढ़े। दरूद के अल्फाज़ यह है,_
*अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा सल्लैता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम माजिद. अल्लाहुम्मा बारीक़ अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा बारकता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम माजिद’*
इसके बाद दुआ ए मसुरा पढ़े। मतलब कोई भी ऐसी दुआ जो कुर’आनी सुरों से हट कर हो। वो दुआ कुर’आन में से ना हो। साफ साफ अल्फाज़ में आपको अपने लिए जो चाहिए वो मांग लीजिये। दुआ के अल्फाज़ मगर अरबी ही होने चाहिए।
आज के मुस्लिम नौजवानों के हालत देखते हुवे उन्हें यह दुआ नमाज़ के आखिर में पढनी चाहिए। *अल्लाहुम्मा* *इन्नी* *अस’अलुका इलमन नाफिया व रिज्क़न तैय्यिबा व अमलम मुतक़ब्बला.’*
जिसका मतलब है, ‘ऐ अल्लाह मैं तुझसे इसे इल्म का सवाल करता हु जो फायदेमंद हो, ऐसे रिज्क़ का सवाल करता हु तो तय्यिब हो और ऐसे अमल का सवाल करता हु जिसे तू कबूल करे.’
इस तरह से दो रक’अत नमाज़ पढ़ कर आप सलाम फेरें *अस्सलामु* *अलैकुम व* *रहमतुल्लाह* कहकर आप सीधे और उलटे जानिब सलाम फेरें।
*सलाम फेरने के बाद आप यह दुआएं पढ़ें।*
एक बार ऊँची आवाज़ में ‘अल्लाहु अकबर’ कहें
फिर तीन बार ‘अस्तगफिरुल्लाह’ कहें
एक बार ‘अल्लाहुम्मा अन्तास्सलाम व मिनकस्सलाम तबारकता या जल जलाली वल इकराम’ पढ़े।
आखिर में एक बार ‘ला इलाहा इल्ललाहु वहदहू ला शरीका लहू लहुल मुल्कू वलहूल हम्दु वहुवा आला कुल्ली शैईन कदीर’ यह दुआ पढ़े.
💐 *गुज़ारिश* 💐
_दीन की बात दूसरों को पहोचा कर सवाब हासिल करे_
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*शेअर करके सद्का ऐ जारिया रवां करने में हिस्सेदार बनें*
*अल्लाह पाक हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तोफिक आता फरमाए आमीन दुआ में याद रखे आपका भाई शमशाद खान*
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