
Mere Jazbaat ,,,✍️ Gouri
February 18, 2025 at 02:09 PM
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*जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है!!*
*ये 'इबरत' की जा है, तमाशा नहीं है!!*
*मिले ख़ाक में अहल-ए-शाँ कैसे कैसे !*
*मकीं हो गए ला-मकाँ कैसे कैसे !*
*हुए नामवर बे-निशाँ कैसे कैसे !*
*ज़मीं खा गई नौजवाँ कैसे कैसे !*
*كُلُّ نَفْسٍ ذَآئِقَةُ الْمَوْت*
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