
#शुकुलकहिन
February 23, 2025 at 06:06 PM
#शुभरात्रि
बुलंदी के लिए बस अपनी ही नज़रों से गिरना था
हमारी कम-नसीबी हम में कुछ ग़ैरत ज़ियादा थी
राजेश रेड्डी