
RadheRadheje
February 19, 2025 at 12:07 PM
*राधा रानी का चमत्कार*
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कार्तिक मास चल रहा है, बहुत दिनों से बरसना जाने की तीव्र इच्छा थी इस बार मौका मिला पहले वृंदावन घूमे फिर बरसाना पहुंचे,8 बजे राधा रानी के महल पहुंचे राधे राधे बोलते, भीड़ काफी थी, मगर कुछ समय बाद भीड़ छट गई,ओर राधा रानी के मन भर कर दर्शन हुए, मेरी पत्नी को पुजारी जी ने सुहाग का सामान दिया, भोग प्रसाद, माला, चरणामत्र प्राप्त हुआ, मन मे काफी उत्साह था, मगर सफ़र की भी काफी थकान थी, दर्शन कर हम कुछ सीडियो से नीचे उतरे ही थे की सीढ़ियों पर काफी रेत ओर मिट्टी थी,मन में झाड़ू को देख कर सफाई की इच्छा जाग्रत हुईं, कुछ सीढ़ी की झाड़ू मेने और कुछ की पत्नी ने लगाई, तभी पत्नी ने कहा एक मार्ग राधा रानी के मान मंदिर के लिए जाता है वहा चलना चाहिए, सफ़र की थकान की वजह से मेने कहा पेरो में दर्द है अगली बार मौका मिला तो देखेंगे अभी तो चलते हैं, हम वापस लोटने लगे कुछ सीढ़ी उतरे ही थे की एक 3 -4 साल की एक बच्ची सीढ़ी पर खड़ी रो रही थी, मुझे लगा बच्ची खो गई है और अपने माता पिता के लिए रो रही है, मेने पूछा लाली क्यों रो रही हैं क्या हुआ, उस के हाथ में एक कटोरी थी बोली मुझ से कोई राधे राधे बाला तिलक नही लगवा रहा है, मेने कहा कोई बात नहीं मेरे लगा है, हालाकि मेने, मेरी पत्नी और बच्चे ने मंदिर जाते समय तिलक लगवा लिया था मगर बच्ची को खुश करने के लिए मेने उस से एक बार फ़िर तिलक लगवा लिया, ओर पत्नी से कहा इसे 10 रुपए दे दो, मेरी पत्नी ने उसे 10 रुपए देने चाहे तो उस लाली ने कहा नही 50 रुपए लुंगी, मेरे अकेले के तिलक के 50 में अचंभित हो रहा था , मेने कहा लाली 20 लेले,उस ने कहा नही और कुछ दूर एक चबूतरे पर जा कर बैठ गई,मेरी पत्नी ने कहा लाली 30 लेले वो बोली आप जाओ मुझे कुछ नहीं चाहिए, मैने जेब में हाथ डाला मेरे पास 50 रुपए खुल्ले नही थे, मैने आस पास दुकान पर पैसे खुल्ले करवाने की सोची की लाली को 50 रुपए दे देंगे मगर दुकानदार कोई चीज लेने पर ही खुल्ले देने को तैयार थे मैने पत्नी से कहा खुल्ले नही मिल रहे चलो, रहने दो नही नही ले रहि तो, फिर मेरी पत्नी ने लाली को समझाया, लाली हमारे पास 50 रुपए का नोट नही है 30 ही रख ले लाली कोई बात नहीं इस बार उसने बात मान ली, ओर 30 रुपए ले लिए, ओर हम धर्म शाला आ गए, शाम को मेरी पत्नी ने कहा केसा लगा आपको मान मंदिर, में चौका मान मंदिर, तो हम गए ही नहीं थे, पत्नी ने कहा भूल गए सीढ़ी वाली घटना, आप तो नही गए मान मंदिर मगर बच्ची के रुप में राधा रानी ने आकर आप को मान मंदिर के दर्शन करवा दिए, जो लाली रूठ कर, मान कर के दूर जा बैठी थी इतना सुनते ही मेरे शरीर में कम्पन सा हुआ आखों से अनायास ही आसू लुड़क गए की मुझ जैसे पतित पर भी राधा रानी इतनी कृपा कर सकती है कि स्वयं आ कर मुझ जैसे पतित के तिलक लगाकर कर चली गई ओर में उन की इस लीला को नही समझ पाया, इस बात से यह सिद्ध होता है की राधा रानी अकारण ही कृपा करती हैं, उनके दरबार में कोई छोटा कोई बड़ा कोई पापी नहीं है वो तो कृपामई मां है,
जय जय श्री राधे 🙏🏻
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