Poet And Pancakes
February 22, 2025 at 07:23 PM
कुसुम सुवन हू कविता के इस, उपवन मे मैं महकूंगा,
गीत गजल के आसमां पर, सूरज बनकर चमकूंगा,
मुझे कसम है भारत माँ का, भाल न झुकने दूंगा मैं,
घोर तिमिर के बीच हमेशा, चाँद सरीखा दमकूंगा।
- चिन्मय
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