Sudarshan News
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February 2, 2025 at 09:19 AM
निरंजनी अखाड़ा: शुद्धता, योग और सनातन धर्म की ज्ञान परंपरा महा कुंभ लेखमाला – लेख क्रमांक 21 प्रस्तावना: संयम, ज्ञान और आध्यात्मिकता का केंद्र सनातन धर्म में निरंजनी अखाड़ा एक प्रमुख संस्थान है, जो योग, ध्यान, ब्रह्मचर्य और वेदांत ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है। • अन्य अखाड़ों की तुलना में यह संयम, शुद्धता और गूढ़ ध्यान साधनाओं पर विशेष बल देता है। • इसकी स्थापना का उद्देश्य आध्यात्मिक ज्ञान का प्रसार, योग और वेदांत की गहन शिक्षा तथा साधना द्वारा आत्मशुद्धि करना है। • इसके संतों की पहचान संयमित जीवन, कठोर तपस्या और वेदों के गूढ़ अध्ययन से होती है। • कुम्भ मेले में इस अखाड़े की उपस्थिति सनातन धर्म की ज्ञान परंपरा और साधना का भव्य प्रदर्शन प्रस्तुत करती है। 1. स्थापना और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य 1.1 अखाड़े की स्थापना और उद्देश्य • स्थापना अन्य अखाड़े के साथ ही शंकराचार्य जी ने की थी। • स्थान: प्रयागराज (इलाहाबाद) • स्थापक: आदि शंकराचार्य की परंपरा से जुड़े संतों द्वारा। • उद्देश्य: • वेदों और उपनिषदों के ज्ञान का संरक्षण। • योग, ध्यान और तपस्या को बढ़ावा देना। • ब्रह्मचर्य और संयम के सिद्धांतों का पालन करना। • धर्म रक्षा के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा को जागृत करना। 1.2 अन्य अखाड़ों से भिन्नता • यह अखाड़ा संयम, आत्मसंयम और शुद्ध जीवन पर विशेष ध्यान देता है। • वेदांत, योग और ध्यान के गहन अध्ययन और अभ्यास पर केंद्रित रहता है। • केवल साधना और मोक्ष की ओर नहीं, बल्कि समाज सुधार और आध्यात्मिकता को भी बढ़ावा देता है। 2. साधना पद्धति और उपासना प्रणाली 2.1 वेदांत, योग और तपस्या का समन्वय • अखाड़ा अद्वैत वेदांत और ध्यान साधना के उच्चतम सिद्धांतों को अपनाता है। • गुरु-शिष्य परंपरा द्वारा ज्ञान का संप्रेषण किया जाता है। • यहाँ के संत योग, ध्यान, वैदिक अध्ययन और तपस्या में गहन रुचि रखते हैं। 2.2 आत्मशुद्धि और अनुशासन का पालन 1. नित्य यज्ञ और हवन: • अखाड़े में नियमित वेदपाठ, यज्ञ और अनुष्ठान किए जाते हैं। • अग्नि साधना और मंत्र जप से आत्मशुद्धि की जाती है। 2. गूढ़ ध्यान साधनाएँ: • नादयोग, कुंडलिनी जागरण और मौन समाधि का गहन अभ्यास कराया जाता है। 3. संयम और ब्रह्मचर्य: • यहाँ के संत कठोर नियमों का पालन करते हैं और संयमित जीवन जीते हैं। 3. कुम्भ मेले में भूमिका 3.1 अमृत स्नान और शोभायात्रा • अमृत स्नान (शाही स्नान) के दौरान यह अखाड़ा आध्यात्मिक ऊर्जा और ज्ञान का दिव्य प्रदर्शन करता है। • इसकी भव्य शोभायात्रा में योगी, तपस्वी और वेदों के ज्ञाता संत सम्मिलित होते हैं। • यह अखाड़ा कुम्भ मेले में वेदांत ज्ञान और ध्यान साधना का प्रचार करता है। 3.2 आध्यात्मिक शिविर और प्रवचन • कुम्भ मेले में अखाड़ा ध्यान, योग और ब्रह्म ज्ञान पर विशेष शिविरों का आयोजन करता है। • यहाँ वेदांत, गीता और योग दर्शन पर विशेष प्रवचन आयोजित किए जाते हैं। • समाज में सनातन संस्कृति और धार्मिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए कार्य करता है। 4. निरंजनी अखाड़े के प्रमुख संत और उनका योगदान 4.1 ऐतिहासिक संत 1. स्वामी कल्पदास जी महाराज: • वेदांत और योग के महान आचार्य। • धर्म रक्षा और वेद ज्ञान के प्रचारक। 2. स्वामी आत्मानंद जी महाराज: • ध्यान और समाधि के द्वारा आत्मज्ञान के प्रचारक। • ब्रह्मचर्य और तपस्या के आदर्श संत। 4.2 आधुनिक संत और उनका प्रभाव 1. आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज: • निरंजनी अखाड़े के वर्तमान आचार्य महामंडलेश्वर हैं। ॰ इस कुंभ में मेरी उनके चार घंटे के सहवास में काफ़ी विषयों पर चर्चा हुई। • समाज में आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाने और वेदांत शिक्षा को प्रचारित करने का कार्य कर रहे हैं। 2. महामंडलेश्वर स्वामी विशुद्धानंद जी महाराज: • योग और ध्यान साधना में विशेष योगदान। • धर्म की शुद्धता और समाज सुधार में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। 5. अन्य अखाड़ों से भिन्नता 1. संयम और शुद्धता पर विशेष ध्यान: • निरंजनी अखाड़ा संयम, ध्यान और योग साधना को सर्वोपरि मानता है। 2. वेदांत और योग का गहन अध्ययन: • अन्य अखाड़ों की तुलना में, यह अखाड़ा वेदांत दर्शन, योग और आध्यात्मिक शिक्षा पर अधिक ध्यान देता है। 3. गूढ़ ध्यान साधनाएँ और आत्मिक विकास: • यहाँ के साधु अंतर्मुखी ध्यान, समाधि साधना और ब्रह्म ज्ञान का गहन अभ्यास करते हैं। 4. समाज सेवा और सनातन धर्म का प्रचार: • निरंजनी अखाड़ा आध्यात्मिकता, शिक्षा और समाज सुधार के कार्यों में भी भाग लेता है। 6. निष्कर्ष: निरंजनी अखाड़ा का आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व निरंजनी अखाड़ा संयम, ज्ञान और वैराग्य की महान परंपराओं को संरक्षित करने वाला प्रमुख संस्थान है। • यह अखाड़ा योग, ध्यान और वेदांत दर्शन का गहन अध्ययन और पालन करता है। • इसके संत और अनुयायी योग, ध्यान, यज्ञ और धार्मिक शिक्षा के माध्यम से समाज में आध्यात्मिक चेतना फैलाते हैं। • यह अखाड़ा सनातन धर्म के ज्ञान, तपस्या और आत्मसाक्षात्कार की धरोहर को आगे ले जाने के लिए समर्पित है। मुख्य वाक्य: “निरंजनी अखाड़ा संयम, शुद्धता और वेदांत ज्ञान का पवित्र केंद्र है, जो योग, ध्यान और आत्मसाक्षात्कार की दिशा में सनातन संस्कृति को आगे बढ़ाता है।” ✍🏻 लेखक: डॉ. सुरेश चव्हाणके (चेयरमैन एवं मुख्य संपादक, सुदर्शन न्यूज़ चैनल) https://sureshchavhanke.in/blog
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