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                                February 2, 2025 at 03:38 AM
                               
                            
                        
                            जाति का प्रमाण पत्र चाहिए (कविता)
संजीव खुदशाह 
उनसे लीजिए जो स्कूल के बच्चों को 
मटका छूने के पर जान से मार देते हैं।
उनके पास भी होता है जाति प्रमाण पत्र जो बात-बात में चोर चमार कह जाते हैं।
उनके पास तो मिल ही जाएगा यह प्रमाण पत्र 
जो दलित को घोड़ी नहीं चढ़ने देते ।
प्रमाण पत्र तो उनके पास भी होता है, 
जो उनका मुंह सुबह-सुबह देखना पसंद नहीं करते हैं।
और क्या-क्या बताऊं, जरा नजर तो घुमाइए चारों तरफ, 
हर जगह आपको जाति का प्रमाण मिल जाएगा।
गांव में, गांव की बस्तियों में, मोहल्ले के नाम में, गलियों में, दुकानों में, मकानों में, 
जाति प्रमाण पत्र आपको सहज ही मिल जाएगा।
कहां ढूंढते हो दस्तावेज में जाति का प्रमाण, 
दस्तावेज तो आखिर फर्जी हो सकते हैं, 
जिन्होंने यातनाएं नहीं झेली है उनके पास भी। 
यातनाओं का प्रमाण तो आपकी पोथियों में भी मिल जाएगा।
क्यों नहीं मानते इन प्रमाणों को सबूत के तौर पर?
और जिन्होंने झेली है यातनाएं, प्रमाण उनके पास नहीं है कोई दस्तावेज उनकी जाति के प्रमाण का। 
क्योंकि भारतीय समाज के रोम रोम में बसा है 
यातनाओं का रुदन, जाति के प्रमाण के चिन्ह।
अब भी तुम्हें जाति का प्रमाण पत्र चाहिए?
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