ऐ मुस्लिम होश में आ जा ✊
February 10, 2025 at 01:31 AM
`“ हिंदोस्तान की सियासत और बेचारा मुसलमान “`
*“ वोट के मामले में मुसलमान हमेशा चौतरफ़ा हमला झेलता रहा है, वो कहावत है “ कमज़ोर की लुगाई „ गाँव भर की भौजाई “ जिसे हर कोई मज़ाक का बाईस समझता है।*
*" अपनी लीडरशिप की बात करें तो तंज़, जिसको वोट दिया वो हक़ मे न बोले तो तंज़, किसी के खिलाफ जाकर वोट दे तो वोटबैंक होने का तंज़, कोई हार जाए तो मुसलमान ज़िम्मेदार, किसी को जीता दें तो कहेंगे ये बेचारे हमारे सिवा जाएँगे कहाँ ” किसी को झोला भर वोट दो तो कहेगा एहसान कैसा, तुमने तो भाजपा को हराने के लिए वोट दिया था, कोई हार जाए तो कहेंगे अपनी कयादत वालों ने वोट बांट दिया, मतलब चित और पट दोनो ताक़तवर की है।*
*“ ये काम हरियाणा में AAP करें या दिल्ली मे कांग्रेस तो कहेंगे सियासत है, मुसलमान करें तो कहेंगे वोटकटवा है B टीम है, ले दे कर इस देश में सेक्यूलर मुस्लिम वोट तो चलेगा लेकिन किसी पार्टी का सेक्यूलर मुस्लिम नेता मंज़ूर नही।*
*“ ओवैसी का उभार तमाम सेकुलर दलो की नाकामी है जो अब मुस्लिम नेताओं को टिकट तक देने मे सौ मर्तबा सोचते है।*
*“ अगर बात सैकुलर की करें तो एक सच्चाई ये भी है की एक मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र से एक हिंदू तो चुनाव जीत सकता है सेक्यूलर के नाम पर लेकिन एक हिंदू बाहुल्य क्षेत्र से एक मुस्लिम चुनाव नहीं जीत सकता क्यों कि सेकुलर हिन्दू ने मुसलमान को कभी अपना नेता माना ही नहीं और सेकुलर मुसलमान एक हिंदू को नेता के साथ साथ अपना बाप भी मान लेता है।*
*“ पहले इलेक्शन मे किसी की हार और जीत से फ़र्क़ पड़ता था, अब कोई रद्देअमल नही, कमज़ोर का लॉजिक भी मज़ाक बन जाता है और ताक़तवर का चूतियापा भी दानिशमंदी समझा जाता है “” वजह कौम की ज़हालत कौम के गद्दारों का दोगलापन है जो सिर्फ अपने फायदे के लिए सियासत करते हैं जिससे उनकी जेब भर सके उनको कौम के हालात से कोई फर्क नहीं पड़ता क्यों कि उन्होंने सियासत अपनी कौम के लिए नहीं अपनी जेब के लिए की थी, बस इतनी सी बात है जो आप को समझना है वरना हालात और बदतर होने वाले हैं।*
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